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________________ २२८ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद से ? गौतम ! वे संख्यात वर्ष की आयु वाले (संज्ञी मनुष्यों से आकर) भी उत्पन्न होते हैं और असंख्यात वर्ष की आयु वाले (संज्ञी मनुष्यों) से (आकर) भी । भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी मनुष्य, कितने काल की स्थिति वाले असुरकुमारों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की । इस प्रकार पूर्वोक्त असुरकुमारों की उत्पत्ति के प्रथम के तीनों गमक असंख्यात वर्ष की आयु वाले तिर्यञ्चयोनिक जीवों के गमक के समान जानना । विशेषता यह है कि प्रथम और द्वितीय गमक में शरीरावगाहना जघन्य सातिरेक पांच सौ धनुष की और उत्कृष्ट तीन गाऊ की होती हैं । तृतीय गमक में शरीर की अवगाहना जघन्य और उत्कृष्ट तीन गाऊ की । शेष तिर्यञ्चयोनिकों के समान है । यदि वह स्वयं जघन्य काल की स्थिति वाला हो और असुरकुमारों में उत्पन्न हो तो उसके भी तीनों गमक जघन्यकाल की स्थिति वाले तिर्यञ्चयोनिक के समान कहना । विशेषता यह है कि तीनों ही गमकों में शरीर की अवगाहना जघन्य और उत्कृष्ट सातिरेक पांच सौ धनुष की होती है । यदि वह स्वयं उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला हो तो उसके विषय में भी पूर्वोक्त अन्तिम तीनों गमक कहना । विशेष यह है कि शरीरावगाहना जघन्य और उत्कृष्ट तीन गाऊ की होती है । भगवन् ! यदि वह (असुरकुमार) संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है, तो क्या वह पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है, अथवा अपर्याप्त से ? गौतम ! वह पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्यों से आकर उत्पन्न होता है । भगवन् ! पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य, कितने काल की स्थितिवाले असुरकुमारों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट सातिरेक सागरोपम काल की स्थिति । भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होने वाले मनुष्यों के समान नौ गमक कहना । विशेष यह है कि इसका संवेध सातिरेक सागरोपम से कहना । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | शतक-२४ उद्देशक-३ ॥ [८४४] राजगृह नगर में गौतमस्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा-भगवान् नागकुमार कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? वे नैरयिकों से यावत् उत्पन्न होते हैं, देवों से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे न तो नैरयिकों से और न देवों से आकर उत्पन्न होते हैं, वे तिर्यञ्चयोनिकों से या मनुष्यों से आकर उत्पन्न होते हैं । (भगवन् !) यदि वे (नागकुमार) तिर्यञ्चों से आते हैं, तो...इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न । असुकुमारों के अनुसार इनकी भी वक्तव्यता, यावत् असंज्ञी-पर्यन्त कहना | भगवन् ! यदि वे संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों से आकर उत्पन्न होते हैं तो क्या वे संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों से आकर उत्पन्न होते हैं, या असंख्येय से ? दोनों से । भगवन् ! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक जीव, कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति वाले । भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? (गौतम !) असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले असंख्येय वर्षायुष्क पंचेन्द्रिय-तिर्यञ्चों
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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