SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद वाला और कदाचित पांच क्रिया वाला होता है । भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि 'वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं यावत् पांच क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! जब तक वह पुरुष जाल को धारण करता है, और मृगों को बांधता नहीं है तथा मृगों को मारता नहीं है, तब तक वह पुरुष कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी, इन तीन क्रियाओं से स्पृष्ट होता । जब तक वह जाल को धारण किये हुए है और मृगों को बांधता है किन्तु मारता नहीं; तब तक वह पुरुष कायिकी आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, और पारितापनिकी, इन चार क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । जब वह पुरुष जाल को धारण किये हुए है, मृगों को बांधता है और मारता है, तब वह कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी और प्राणातिपातिकी, इन पाँचों क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । इस कारण हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पांचों क्रियाओं वाला कहा जाता है । [८८] भगवन् ! कच्छ में यावत् - वनविदुर्ग में कोई पुरुष घास के तिनके इकट्ठे करके उनमें अग्नि डाले तो वह पुरुष कितनी क्रिया वाला होता है ? गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् पांच क्रियाओं वाला होता है । भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? गौतम ! जब तक वह पुरुष तिनके इकट्ठे करता है, तब तक वह तीन क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । जब वह तिनके इकट्ठे कर लेता है, और उनमें अग्नि डालता है, किन्तु जलाता नहीं है, तक तक वह चार क्रियाओं वाला होता है । जब वह तिनके इकट्ठे करता है, उनमें आग डालता है और जलाता है, तब वह पुरुष कायिकी आदि पांचों क्रियाओं से स्पृष्ट होता है । इसलिए हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रियाओं वाला यावत् कदाचित् पांचों क्रियाओं वाला कहा जाता है । [९] भगवन् ! मृगों से आजीविका चलाने वाला, मृगों का शिकार करने के लिए कृतसंकल्प, मृगों के शिकार में तन्मय, मृगवध के लिए कच्छ में यावत् वनविदुर्ग में जाकर 'ये मृग हैं' ऐसा सोचकर किसी एक मृग को मारने के लिए बाण फेंकता है, तो वह पुरुष कितनी क्रिया वाला होता है । हे गौतम ! वह पुरुष कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पाँच क्रिया वाला होता है । भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है ? गौतम ! जब तक वह पुरुष बाण फेंकता है, परन्तु मृग को बेधता नहीं है, तथा मृग को मारता नहीं है, तब वह पुरुष तीन क्रिया वाला है । जब वह बाण फेंकता है और मृग को बेधता है, पर मृग को मारता नहीं है, तब तक वह चार क्रिया वाला है, और जब वह बाण फेंकता है, मृग को बेधता है और मारता है; तब वह पुरुष पाँच क्रिया वाला कहलाता है । हे गौतम! इस कारण ऐसा कहा जाता है कि 'कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रिया वाला और कदाचित् पाँच क्रिया वाला होता है ।' [१०] भगवन् ! कोई पुरुष कच्छ में यावत् किसी मृग का वध करने के लिए कान तक ताने हुए बाण को प्रयत्नपूर्वक खींच कर खड़ा हो और दूसरा कोई पुरुष पीछे से आकर उस खड़े हुए पुरुष का मस्तक अपने हाथ से तलवार द्वारा काट डाले । वह बाण पहले के खिंचाव से उछल कर उस मृग को बींध डाले, तो हे भगवन् ! वह पुरुष मृग के वैर से स्पृष्ट है या (उक्त ) पुरुष के वैर से स्पृष्ट है ? गौतम ! जो पुरुष मृग को मारता है, वह मृग के
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy