SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती -१/-/६/७७ पुद्गल परस्पर घट्टित हो कर रहे हुए हैं । [ ७८ ] भगवन् ! क्या सूक्ष्म स्नेहकाय, सदा परिमित पड़ता है ? हाँ, गौतम ! पड़ता है । भगवन् ! वह सूक्ष्म स्नेहकाय ऊपर पड़ता है, नीचे पड़ता है या तिरछा पड़ता है ? गौतम ! वह उपर भी पड़ता है, नीचे भी पड़ती है और तिरछा भी पड़ता है । भगवन् ! क्या वह सूक्ष्म स्नेहकाय स्थूल अप्काय की भाँति परस्पर समायुक्त होकर बहुत दीर्घकाल तक रहता है ? हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है; क्योंकि वह (सूक्ष्म स्नेहकाय) शीघ्र ही विध्वस्त हो जाता है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह उसी प्रकार है । शतक - १ उद्देशक - ७ ४३ [७९] 'भगवन् ! नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है या एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है, या सर्वभाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता अथवा सब भागों को आश्रय करके उत्पन्न होता है ? गौतम ! नारक जीव एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न नहीं होता; एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके भी उत्पनन नहीं होता, और सर्वभाग से एक भाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता; किन्तु सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है । नारकों के समान वैमानिकों तक इसी प्रकार समझना चाहिए । भगवन् ! नारकों में से [८०] नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार करता है, सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है ? गौतम ! वह एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, किन्तु सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों के आश्रित करके आहार करता है । नारकों के समान ही वैमानिकों तक इसी प्रकार जानना । निकलता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके निकलता है ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न । गौतम ! जैसे उत्पन्न होते हुए नैरयिक आदि के विषय में कहा था, वैसे ही उद्-वर्तमान नैरयिक आदि के विषय में दण्डक कहना । भगवन् ! नैरयिकों से उद्वर्तमान नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् । गौतम ! यह भी पूर्वसूत्र के समान जानना; यावत् सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है । इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक जानना चाहिए । भगवन् ! नारकों में उत्पन्न हुआ नैरयिक क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न हुआ है ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् । गौतम ! यह दण्डक भी उसी प्रकार जानना, यावत्-सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है । उत्पद्यमान और उद्वर्तमान के समान उत्पन्न और उत्त के विषय में भी चार दण्डक कहने चाहिए । I भगवन् ! नैरयिकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या अर्द्ध भाग से अर्द्ध भाग की आश्रित करके उत्पन्न होता है या अर्द्धभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है ?
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy