SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती-८/-/१/३८७ २०१ होते हैं, अथवा विस्त्रसापरिणत होते हैं, या २. एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है और दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं, या एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है और दो द्रव्य विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं और एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है, अथवा दो द्रव्य प्रयोग-परिणत होते हैं, और एक द्रव्य विस्त्रसापरिणत होता है; अथवा एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है और दो द्रव्य विस्त्रसा-परिणत होते हैं, अथवा दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं, और एक द्रव्य विस्रसा-परिणत होता है; या एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है और एक द्रव्य विस्त्रसापरिणत होता है । भगवन् ! यदि वे तीनों द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, तो क्या मनःप्रयोगपरिणत होते हैं, या वचनप्रयोगपरिणत होते हैं अथवा वे कायप्रयोगपरिणत होते हैं ? गौतम ! वे या तो मनःप्रयोगपरिणत होते हैं, या वचनप्रयोगपरिणत होते हैं, अथवा कायप्रयोगपरिणत होते हैं । इस प्रकार एकसंयोगी, द्विकसंयोगी और त्रिकसंयोगी भंग कहना । भगवन् ! यदि तीन द्रव्य मनःप्रयोग-परिणत होते हैं, तो क्या वे सत्यमनःप्रयोगपरिणत होते हैं, इत्यादि प्रश्न है । गौतम ! वे (त्रिद्रव्य) सत्यमनःप्रयोगपरिणत होते हैं, अथवा यावत् असत्यामृषामनःप्रयोगपरिणत होते हैं, अथवा उनमें से एक द्रव्य सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है और दो द्रव्य मृषामनःप्रयोगपरिणत होते हैं; इत्यादि प्रकार से यहाँ भी द्विकसंयोगी भंग कहने । तीन द्रव्यों के प्रयोगपरिणत की तरह ही यहाँ भी पूर्ववत् मिश्रपरिणत और विस्त्रसापरिणत के भंग अथवा एक त्र्यंस संस्थानरूप से परिणत हो, एक समचतुरस्त्रसंस्थानरूप से परिणत हो और एक आयतसंस्थानरूप से परिणत हो तक कहना। भगवन् ! चार द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, या मिश्रपरिणत होते हैं, अथवा विस्सापरिणत होते हैं ? गौतम ! वे या तो प्रयोगपरिणत होते हैं, या मिश्र-परिणत होते हैं, अथवा विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है, तीन मिश्रपरिणत होते हैं, या एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है और तीन विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं और दो मिश्रपरिणत होते हैं, या दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं और दो विस्त्रसापरिणत होते हैं; अथवा तीन द्रव्य प्रयोग-परिणत होते हैं और एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है; अथवा तीन द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्त्रसापरिणत होता है; अथवा एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है और तीन द्रव्य विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और दो द्रव्य विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा तीन द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्त्रसापरिणत होता है, अथवा एक प्रयोगपरिणत होता है, एक मिश्रपरिणत होता है और दो विस्त्रसापरिणत होते हैं, अथवा एक प्रयोगपरिणत होता है, दो द्रव्य मिश्रपरिणत होते हैं और एक द्रव्य विस्सापरिणत होता है, अथवा दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, एक मिश्रपरिणत होता है और एक विस्रसापरिणत होता है । भगवन् ! यदि चार द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं तो क्या वे मनःप्रयोगपरिणत होते हैं, या वचनप्रयोगपरिणत होते हैं, अथवा कायप्रयोगपरिणत होते हैं ? गौतम ! ये सब पूर्ववत् कहना तथा इसी क्रम से पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस, यावत् संख्यात, असंख्यात और अनन्त द्रव्यों के विषय में कहना । द्विकसंयोग से, त्रिकसंयोग से, यावत् दस के संयोग से, बारह के संयोग से, जहाँ जिसके जितने संयोगी भंग बनते हों, उतने सब भंग उपयोगपूर्वक कहना । ये सभी संयोगी भंग आगे नौवें शतक के बत्तीसवें उद्देशक में जिस प्रकार हम कहेंगे, उसी प्रकार उपयोग लगाकर यहाँ भी कहना; यावत् अथवा अनन्त
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy