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________________ १७६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद सामान्यकायस्थिति, निर्लेपन, अनगारसम्बन्धी वर्णन सम्यक्त्वक्रिया और मिथ्यात्वक्रिया । शतक-७ उद्देशक-५ [३५३] राजगृह नगर में यावत् भगवान् महावीर स्वामी से पूछा- हे भगवन् ! खेचर पंचेन्द्रियतिर्यञ्च जीवों का योनिसंग्रह कितने प्रकार का है ? गौतम ! तीन प्रकार का । अण्डज, पोतज और सम्मूर्छिम । इस प्रकार जीवाजीवाभिगमसूत्र में कह अनुसार यावत् 'उन विमानों का उलंघन नहीं किया जा सकता, हे गौतम ! वे विमान इतने महान् कहे गए हैं;' तक कहना । 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यह इसी प्रकार है'। ३५४] योनिसंग्रह लेश्या, दृष्टि, ज्ञान, योग, उपयोग, उपपात, स्थिति, समुद्घात, च्यवन और जाति-कुलकोटि इतने विषय है । | शतक-७ उद्देशक-६ [३५५] राजगृह नगर में यावत् पूछा-भगवन् ! जो जीव नारकों में उत्पन्न होने योग्य है, क्या वह इस भव में रहता हुआ नारकायुष्य बांधता है, वहाँ उत्पन्न होता हुआ नारकायुष्य बांधता है या फिर (नरक में) उत्पन्न होने पर नारकायुष्य बांधता है ? गौतम ! वह इस भव में रहता हुआ ही नारकायुष्य बांध लेता है, परन्तु नरक में उत्पन्न हुआ नारकायुष्य नहीं बांधता और न नरक में उत्पन्न होने पर नारकायुष्य बांधता है । इसी प्रकार असुरकुमारों के विषय में कहना । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना। . भगवन् ! जो जीव नारकों में उत्पन्न होनेवाला है, क्या वह इस भव में रहता हुआ नारकायुष्य का वेदन करता है, या वहाँ उत्पन्न होता हुआ नारकायुष्य का वेदन करता है, अथवा वहाँ उत्पन्न होने के पश्चात् नारकायुष्य का वेदन करता है ? गौतम ! वह इस भव में रहता हुआ नारकायुष्य का वेदन नहीं करता, किन्तु वहाँ उत्पन्न होता हुआ वह नारकायुष्य का वेदन करता है और उत्पन्न होने के पश्चात् भी नारकायुष्य का वेदन करता है । इस प्रकार वैमानिक पर्यन्त चौबीस दण्डकों में कथन करना चाहिए । भगवन् ! जो जीव नारकों में उत्पन्न होने वाला है, क्या वह यहाँ रहता हुआ ही महावेदना वाला हो जाता है, या नरक में उत्पन्न होता हुआ महावेदनावाला होता है, अथवा नरक में उत्पन्न होने के पश्चात् महावेदना वाला होता है ? गौतम ! वह इस भव में रहा हुआ कदाचित् महावेदनावाला होता है, कदाचित् अल्पवेदनावाला होता है । नरक में उत्पन्न होता हुआ भी कदाचित् महावेदनावाला और कदाचित् अल्पवेदनावाला होता है; किन्तु जब नरक में उत्पन्न हो जाता है, तब वह एकान्तदुःखरूप वेदना वेदता है, कदाचित् सुख रूप (वेदना वेदता है ।) भगवन् ! असुरकुमार सम्बन्धी प्रश्न-गौतम ! वह इस भव में रहा हुआ कदाचित् महावेदनावाला और कदाचित् अल्पवेदनावाला होता है; वहाँ उत्पन्न होता हुआ भी वह कदाचित् महावेदना वाला और कदाचित् अल्पवेदनावाला होता है, किन्तु जब वह वहाँ उत्पन्न हो जाता है, तब एकान्तसुख रूप वेदता है, कदाचित् दुःख रूप वेदना वेदता है । इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक कहना । भगवन् ! पृथ्वीकायिक में उत्पन्न होने योग्य जीव सम्बन्धी पृच्छा । गौतम ! वह जीव इस भव में रहा हुआ कदाचित् महावेदनायुक्त और कदाचित् अल्पवेदनायुक्त होता है, इसी
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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