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________________ भगवती-४/-/१०/२१२ ११७ में परिणत हो जाती है ? (हे गौतम !) प्रज्ञापना सूत्र में उक्त लेश्यापद का चतुर्थ उद्देशक यहाँ कहना चाहिए; और वह यावत् परिणाम इत्यादि द्वार-गाथा तक कहना चाहिए । [२१३] परिणाम, वर्ण, रस, गन्ध, शुद्ध, अप्रशस्त, संक्लिष्ट, उष्ण, गति, परिणाम, प्रदेश, अवगाहना, वर्गणा, स्थान और अल्पबहुत्व; (ये सब बातें लेश्याओं के सम्बन्ध में कहनी चाहिए ।) [२१४] 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है' । शतक-४ का मुनिदीपरत्नसागर कृत हिन्दी अनुवाद पूर्ण (शतक-५) [२१५] पांचवें शतक में ये दस उद्देशक हैं-प्रथम उद्देशक में चम्पा नगरी में सूर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर हैं । द्वितीय में वायु-सम्बन्धी प्ररूपण । तृतीय में जालग्रन्थी का उदाहरण । चतुर्थ में शब्द-सम्बन्धी प्रश्नोत्तर । पंचम में छद्मस्थ वर्णन । छठे में आयुष्य सम्बन्धी निरूपण है । सातवें में पुद्गलों को कम्पन । आठवें में निर्ग्रन्थी-पुत्र । नौवें में राजगृह नगर है और दशवें में चम्पानगरी में वर्णित चन्द्रमा-सम्बन्धी प्ररूपणा है । | शतक-५ उद्देशक-१ | [२१६]उस काल और समय में चम्पा नाम की नगरी थी । उस चम्पा नगरी के बाहर पूर्णभद्र नाम का चैत्य था । वहाँ श्रमण भगवान् महावीर स्वामी पधारे,...यावत् परिषद् धर्मोपदेश सुनने के लिए गई और वापस लौट गई । उस काल और उस समय में श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के ज्येष्ठ अन्तेवासी गौतमगोत्रीय इन्द्रभूति अनगार थे, यावत् उन्होंने पूछा-भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य क्या ईशान-कोण में उदय हो कर आग्नेय कोण में अस्त होते हैं ? अथवा आग्नेय कोण में उदय होकर नैर्ऋत्य कोण में अस्त होते हैं ? अथवा नैर्ऋत्य कोण में उदय होकर वायव्यकोण में अस्त होते हैं, या फिर वायव्यकोण में उदय होकर ईशान कोण में अस्त होते हैं ? हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में सूर्य-ईशान कोण में उदित हो कर अग्निकोण में अस्त होते हैं, यावत् ईशानकोण में अस्त होते हैं । भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है ? और जब जम्बूद्वीप के उत्तरार्द्ध में दिन होता है, तब क्या मेरुपर्वत से पूर्व-पश्चिम में रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन में होता है, तब यावत् रात्रि होती है । भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व में दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी दिन होता है ? और जब पश्चिम में दिन होता है, तबक्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से उत्तर-दक्षिण में रात्रि होती है ? गौतम ! हाँ, इसी प्रकार होता है । [२१७] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप नामक द्वीप के दक्षिणार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है ?, और जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर (मेरु) पर्वत से पूर्व-पश्चिम में जघन्य बारह मुहर्त की रात्रि होती है ? हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है । भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरु-पर्वत से पूर्व में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के पश्चिम में भी उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है ?, और
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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