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________________ स्थान- ४/४/३६६ प्रभावक भी नहीं हैं और जिन प्रवचनों का प्ररूपक भी नहीं है । पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा - एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक है किन्तु शुद्ध आहारादि की एषणा में तत्पर नहीं है । एक पुरुष शुद्ध आहारादि की एषणा में तत्पर नहीं है किन्तु सूत्रार्थ का प्ररूपक है । एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक भी है और शुद्ध आहारादि की एषणा में भी तत्पर है । एक पुरुष सूत्रार्थ का प्ररूपक भी नहीं हैं और शुद्ध आहारादि की एषणा में भी तत्पर नहीं है । वृक्ष की विकुर्वणा चार प्रकार की है । यथा - नई कोंपले आना, पत्ते आना, पुष्प ९५ आना, फल आना । [३६७] वाद करनेवालों के समोसरण चार हैं अज्ञानवादी और विनयवादी । विकलेन्द्रियों को छोड़कर शेष सभी दण्डकों में वादियों के चार समवरण हैं । [३६८] मेघ चार प्रकार के हैं । यथा - एक मेघ गाजता हैं किन्तु वर्षता नहीं हैं । एक मेघ वर्षता हैं किन्तु गाजता नहीं है । एक मेघ गाजता भी हैं और वर्षता भी है । एक मेघ गाजता भी नहीं है और वर्षता भी नहीं है । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा- एक पुरुष बोलता बहुत हैं किन्तु देता कुछ भी नहीं है । एक पुरुष देता है किन्तु बोलता कुछ भी नहीं है । एक पुरुष बोलता भी है और देती भी है । एक पुरुष बोलता भी नहीं है और देता भी नहीं है । । यथा- क्रियावादी, अक्रियावादी, मेघ चार प्रकार के है । यथा- एक मेघ गाजता है किन्तु उसमें बिजलियां नहीं चमकती है । एक मेघ में बिजलियां चमकती है किन्तु गाजता नहीं हैं । एक मेघ गाजता है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती हैं । एक मेघ गाजता भी नहीं है और उसमें बिजलियां भी चमकती नहीं है । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के है । यथा- एक पुरुष प्रतिज्ञा करता हैं किन्तु अपनी बड़ाई नहीं हाँकता । एक पुरुष अपनी बड़ाई हांकता है किन्तु प्रतिज्ञा नहीं करता हैं । एक पुरुष प्रतिज्ञा भी करता है और अपनी बड़ाई भी हांकता हैं । एक पुरुष प्रतिज्ञा भी नहीं करता हैं और अपनी बड़ाई भी नहीं हांकता है। मेघ चार प्रकार के हैं । यथा- एक मेघ वर्षता है किन्तु उसमें बिजलियां नहीं चमकती हैं । एक मेघ में बिजलियाँ हैं किन्तु वर्षता नहीं है । एक मेघ वर्षता भी है और उसमें बिजलियां भी चमकती है । एक मेघ वर्षता भी नहीं है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती नहीं है । इसी प्रकार पुरुष, चार प्रकार के । यथा- एक पुरुष दानादि सत्कार्य करता हैं किन्तु अपनी बड़ाई नहीं करता हैं । एक पुरुष अपनी बड़ाई करता है किन्तु दानादि सत्कार्य नहीं करता हैं । एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी करता है और अपनी बड़ाई भी करता हैं । एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी नहीं करता और अपनी बड़ाई भी नहीं करता है । मेघ चार प्रकार के हैं । एक मेघ समय पर बरसता है किन्तु असमय नहीं बरसता । एक मेघ असमय बरसता है किन्तु समय पर नहीं बरसता । एक मेघ समय पर भी बरसता है और असमय भी बरसता है । एक मेघ समय पर भी नहीं बरसता और असमय भी नहीं बरसता । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष समय पर दानादि सत्कार्य करता है, किन्तु असमय नहीं करता । एक पुरुष असमय दानादि सत्कार्य करता है किन्तु समय पर
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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