SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७ नमो नमो निम्मलदसणस्स |३| स्थान अंगसूत्र-३-हिन्दी अनुवाद (स्थान-१) [१] हे आयुष्मन् शिष्य ! मैंने सुना है, भगवान् महावीर ने इस प्रकार कहा है । [२] आत्मा एक है । [३] दण्ड एक है । [४] क्रिया एक है । [५] लोक एक है । [६] अलोक एक है । [७] धर्मास्तिकाय एक है । [८] अधर्मास्तिकाय एक है । [९] बंध एक है । [१०] मोक्ष एक है । [११] पुण्य एक है । [१२] पाप एक है । [१३] आश्रव एक है । [१४] संवर एक है । [१५] वेदना एक है । [१६] निर्जरा एक है। [१७] प्रत्येक शरीर नामकर्म के उदय से होने वाले शरीर में जीव एक है । [१८] जीवों की बाह्यपुद्गलों को ग्रहण किये बिना की जाति विकुर्वणा एक है । [१९] मन का व्यापार एक है । [२०] वचन का व्यापार एक है । [२१] काया का व्यापार एक है । [२२] उत्पाद एक है । [२३] विनाश एक है । [२४] मृतात्मा का शरीर एक है । [२५] गति एक है। [२६] आगति एक है । [२७] च्यवन-मरण एक है । [२८] उपपाच जन्म एक है ।
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy