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________________ स्थान-७/-/६३६ १३९ सात स्वरों से सम गाया जाय । [६३७] गेय के ये आठ गुण और हैं । निर्दोष, सारयुक्त, हेतुयुक्त, अलंकृत, उपसंहारयुक्त, सोत्प्रास, मित, मधुर । [६३८] तीन व्रत हैं- सम, अर्ध सम, सर्वत्र विषम । [६३९] दो भणितिया हैं, यथा- संस्कृत और प्राकृत इन दो भाषाओं को ऋषियों ने प्रशस्त मानी हैं और इन दो भाषाओं में ही गाया जाता है . [६४०] मधुर कौन गाती हैं ? खर स्वर से कौन गाती है ? रुक्ष स्वर से कौन गाती है ? दक्षतापूर्वक कौन गाती है ? मन्दस्वर से कौन गाती है ? शीघ्रतापूर्वक कौन गाती है ? विस्वर (विरुद्ध स्वर) से कौन गाती है ? निम्नोक्त क्रम से जानना । [६४१] श्यामा (किंचित् काली) स्त्री । काली (घन के समान श्याम रंग वाली) । काली । गौरी (गौरवर्ण वाली) । काणी । अंधी । पिंगला-भूरे वर्ण वाली । [६४२] सात प्रकार से सम होता है, यथा- तंत्रीसम, तालसम, पादसम, लयसम, ग्रहसम, श्वासोच्छ्वाससम, संचार सम । [६४३] सात स्वर, तीन ग्राम, इक्कीस मूर्छना, और उनपचास तान हैं । [६४४] कायक्लेश सात प्रकार का कहा गया है, यथा- स्थनातिग-कार्योत्सर्ग करने वाला । उत्कटकासनिक-उकड बैठने वाला । प्रतिमास्थायी-भिक्ष प्रतिमा का वहन करने वाला । वीरासनिक-सिंहासन पर बैठने वाले के समान बैठना । नैषधिक-पैर आदि स्थिर करके बैठना । दंडायतिक दण्ड के समान पैर फैलाकर बैठना । लगंडशायी-वक्र काष्ठ के समानभूमि से पीठ ऊंची रखकर सोनेवाला । [६४५] जम्बूद्वीप में सात वर्ष (क्षेत्र) कहे गये हैं, यथा- भरत, ऐवत, हैमवत, हैरण्यवत, हरिवर्ष, रम्यक्वर्ष, महाविदेह । जम्बूद्वीप में सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं । यथा-चुल्लहिमवन्त, महाहिमवंत, निषध, नीलवंत, रुक्मी, शिखरी, मंदराचल । जम्बूद्वीप में सात महानदियां हैं जो पूर्व की ओर बहती हुई लवण समुद्र में मिलती हैं । यथा- गंगा, रोहिता, हरित, शीता, नरकान्ता, सुवर्णकूला, रक्ता । जम्बूद्वीप में सात महानदियां हैं जो पश्चिम की ओर बहती हुई लवण समुद्र में मिलती हैं, यथा- सिन्धु, रोहितांशा, हरिकान्ता, शीतोदा, नारीकान्ता, रुप्यकूला, रक्तवती । धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में सात वर्ष हैं, यथा- भरत-यावत्-महाविदेह । धातकीखण्ड द्वीप में पूर्वार्ध में सात वर्षधर पर्वत हैं । यथा- १. चुल्ल हिमवंत यावत्मंदराचल । घातकी खण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में सात महानदियां हैं जो पूर्व दिशा में बहती हुई कालोद समुद्र में मिलती हैं । यथा- गंगा यावत् रक्ता । घातकी खण्ड द्वीप में सात महानदियां हैं जो पश्चिम में बहती हुई लवण समुद्र में मिलती हैं । घातकी खण्ड द्वीप के पश्चिमार्ध में सात वर्ष क्षेत्र हैं, भरत यावत् महाविदेह शेष तीन सूत्र पूर्ववत् । विशेष-पूर्व की ओर बहने वाली नदियां लवण समुद्र में मिलती हैं और पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां कालोदसमुद्र में मिलती हैं ।। पुष्करवर द्वीपार्ध के पूर्वार्ध में पूर्ववत् सात वर्ष क्षेत्र हैं । विशेष- पूर्व की ओर बहने
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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