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________________ स्थान-४/४/३७८ से बाहर जाता है किन्तु फिरता नहीं है । एक श्रमण फिरने में समर्थ है किन्तु भिक्षा के लिए नहीं जाता हैं । एक श्रमण भिक्षार्थ जाता है और फिरता भी है । एक श्रमण भिक्षार्थ जाता भी नहीं है और फिरता भी नहीं है । [३७९] पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष पहले भी कृश है और पीछे भी कृश रहता है । एक पुरुष पहले कृश है किन्तु पीछे स्थूल हो जाता हैं । एक पुरुष पहले स्थूल है किन्तु पीछे कृश हो जाता हैं । एक पुरुष पहले भी स्थूल होता है और पीछे भी स्थूल ही रहता है । पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष का शरीर कृश है और उसके कषाय भी कृश (अल्प) है । एक पुरुष का शरीर कृश है किन्तु उसके कषाय अकृश (अधिक) है । एक पुरुष के कषाय अल्प है किन्तु उसका शरीर स्थूल है । एक पुरुष के कषाय अल्प है और शरीर भी कृश है । पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष बुध (सत्कर्म करनेवाला) है और बुध विवेकी हैं । एक पुरुष बुध है किन्तु अबुध (विवेकरहित) है । एक पुरुष अबुध है किन्तु बुध (सत्कर्म करनेवाला) है । एक पुरुष अबुध है (विवेकरहित है) और अबुध है (सत्कर्म करनेवाला भी नहीं है) पुरुष चार प्रकार के है । यथा-एक पुरुष बुध (शास्त्रज्ञ) है और बुध हृदय है (कार्यकुशल है) एक पुरुष बुध है किन्तु अबुध हृदय है (कार्यकुशल नहीं है) एक पुरुष अबुधहृदय है किन्तु बुध है (शास्त्रज्ञ है) एक पुरुष अबुध है (शास्त्रज्ञ नहीं है) और अबुध है (कार्यकुशल भी नहीं है) पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष अपने पर अनुकम्पा करनेवाला है किन्तु दूसरे पर अनुकम्पा करनेवाला नहीं है । एक पुरुष अपने पर अनुकम्पा नहीं करता हैं किन्तु दूसरे पर अनुकम्पा करता है । एक पुरुष अपने पर भी अनुकम्पा करता है और दूसरे पर भी अनुकम्पा करता है । एक पुरुष अपने पर भी अनुकम्पा नहीं करता है और दूसरे पर भी अनुकम्पा नहीं करता है । [३८०] संभोग चार प्रकार के हैं । देवताओं का, असुरों का, राक्षसों का और मनुष्यों का । संभोग चारप्रकार का है । एक देवता देवी के साथ संभोग करता हैं । एक देवता असुरी के साथ संभोग करता हैं । एक असुर देवी के साथ संभोग करता हैं । एक असुर असुरी के साथ संभोग करता है । ___ संभोग चार प्रकार का है । एक देव देवी के साथ संभोग करता हे । एक देव राक्षसी के साथ संभोग करता है । एक राक्षस देवी के साथ संभोग करता है । एक राक्षस राक्षसी के साथ संभोग करता है । संभोग चार प्रकार का है । यथा-एक देव देवी के साथ संभोग करता है । एक देव मानुषी के साथ संभोग करता है । एक मनुष्य देवी के साथ संभोग करता हे । एक मनुष्य मानुषी के साथ संभोग करता है । संभोग चार प्रकार का है । यथा-एक असुर असुरी के साथ संभोग करता है । एक असुर राक्षसी के साथ संभोग करता है । एक राक्षस असुरी के साथ संभोग करता है । एक राक्षस राक्षसी के साथ संभोग करता है । संभोग चार प्रकार के हैं । यथा-एक असुर असुरी के साथसंभोग करता है । एक असुर मानुषी के साथ संभोग करता है । एक मनुष्य असुरी के साथ संभोग करता है । एक मनुष्यणी के साथ संभोग करता है ।
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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