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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुक्तं - १६३ उदइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पणअणे अस्थि नामे उदसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे अत्थि नामे उवसमिए खइए पारिणामियनिष्पणे अत्थि नामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिम्फण्णे अस्थि नामे खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए उवसमिए खयनिष्फण्णे उदइए ति मणुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं एस णं से नामे उदइए उयसमिए खयनिप्पण्णे कयरे से नामे उदइए उवसमइए खओवसमनिष्फने उदइए त्ति मणुस्से उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई एस णं से नामे उदइए उवसमिए खओवसमनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए उदसमिए पारिणामियनिफन्ने उदइए ति मणुस्से उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उदइए उवसमिए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए खइए खओवसमनिष्फणे उदइए ति मणुस्से खइयं सम्मतं खओवसमियाई इंदियाई एस णं से नामे उदइए खइए खओवसम निष्फन्ने कयरे से नामे उदइए खइए पारिणाभियनिष्फण्णे उदइए त्ति मस्से खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उदइए खइए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए खओवसमिए पारिणामियनिष्कण्णे उदइए त्ति मणुस्से खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उदइए खओवसमिए पारिणामियनिष्कण्णे कयरे से नामे उवसमिए खइए खओवसमियनिप्पण्णे उवसंता कसाया खइयं सम्मतं खओवसमियाई इंदियाई एस णं से नामे उबसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे कयरे से नामे उवसमिए खइए पारिणामियनिष्फष्णे उवसंता कसाया खइयं सम्मतं पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उवसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे कयरे से नामे उवसमिए खइए पारिणामियनिष्कण्णे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उवसमिए खइए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्कण्णे उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्फण्णं कयरे से नामे खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्फण्ण खइयं सम्मतं खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जी एस णं से नामे खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पण्णे तत्थ णं जेते पंच चउक्कसंजोगा ते इमे अस्थि नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे अत्थि नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिष्फण्णे अत्थि नामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्फण्णे अत्थि नामे उदइए खड़ए खओवसपिए पारिणामियनिष्फण्णे अत्थि नामे उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामिनिप्फन्ने कयरे से नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे उदइए त्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खओवसमिधाई इंदियाई एस णं से नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे उदइए ति मणुस्से उदसंता कसाया खइयं सम्मतं खओवसमियाई इंदियाई एस णं से नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पण्णे उदइए ति मनुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मतं पारिणामिए जीवेएस णं से नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पण्णं कयरे से नामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्कण्णे उदइए त्ति मणुस्से उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्फण्णे कयरे से नामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने उदइए ति मणुस्से खइयं सम्मत्तं खओवसमियाई 45 4 For Private And Personal Use Only
SR No.009775
Book TitleAgam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
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