SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - १४० मण्णासो दुरूवणो से तं अणाणुपुब्बी से तं गणणाणुपुब्बी | ११६/- 116 (१४१ ) से किं तं संठाणाणुपुबी संठाणाणुपुवी तिविहा पन्नता तं जहा- पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुवी अणाणुपुवी से किं तं पुव्वाणुपुव्वी पुव्वाणुपुवी - समचउरंसे नग्गोहपरिमंडले साई खुजे बामणे हुंडे से तं पुब्बाणुपुष्यी से किं तं पच्काणुपुवी पच्छाणुपुव्वी- हुंडे जाव समचउरंसे से तं पच्छाणुपुच्ची से किं तं अणाणुपुव्वी अणाणुपुव्यी-एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छायाए सेढीए अण्णमण्णासो दुरूवणे से तं अणाणुपुबी से तं संठाणाणुपुब्वी 199७1-117 (१४२) से किं तं सामायारियाणुपुवी सामायारियाणुपुवी तिविहा पन्नत्ता तं जहापुव्वाणुपुब्बी अणाणुपुच्ची से किं तं पुव्वाणुपुवी [पुव्वाणुपुच्ची] [992-91118-1 (१४३) इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य नियंतणा |19G|J-16 (१४४) उपसंपया य काले सामायारी भये दसविहा उ, से तं पुव्याणुपुच्ची से किं तं पच्छापुच्ची पच्छाणुपुची उवसंपया जाव इच्छा से तं पच्छापुच्ची से किं तं अणाणुपुवी अणाणुपुव्यी एयाए चैव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसगच्छगयाए सेटीए अण्णमण्णमासो दुरूदूणो सेतं अणाणुपुथ्वी से तं सामायारियाणुपुष्यी 199८/- 118 ( १४५ ) से किं तं भावाणुपुची भावाणुपुची तिविहा, पुव्याणुपुवी पच्छाणुपुवी अणाणुपुवी से किं तं पुव्वाणुपुच्ची उदइए उचसमिए खइए खओवसमिए पारिणामिए सन्निवाइए सेतं पुव्वाणुपुच्ची से किं तं पच्छाणुपुवी सन्निवाइए जाव उदइए से तं पच्छाणुपुवी से किं तं अणाणुपुदी अणाणुपुच्ची- एयाए चैव एगाइयाए एगुत्तरियाए छगऋगयाए सेढीए अण्णमण्णासो दुरूवूणो से तं अणाणुपुवी से तं भावाणुपुबी से तं आणुपुवी ।११९/-110 (१४६ ) से किं तं नामे नामे दसविहे पत्रत्ते तं जहा- एगनामे दुनामे तिनामे चउनामे पंचनामे छना सत्तनामे अट्ठनामे नवनामे दसनामे 19२०/-120 (१४७) से किं तं एगनामे एगनामे- 1929-9-121-1 ( १४८) नामाणि जाणि काणि वि दव्दाण गुणाण पत्रवाणंच तेर्सि आगम-निइसे नामंति परूविया सण्णा १९ (19917-17 For Private And Personal Use Only (१४९) से तं एगनामे ॥ १२9-121 (१५०) से किं तं दुनामे दुनामे दुविहे पत्रत्ते तं जहा एगक्खरिए य अणेगक्खरिए य से किं तं गक्खरिए एगक्खरिए अणेगविहे पत्रत्ते तं जहा- ह्रीः श्रीः घीः स्त्री से तं एगक्खरिए से किं तं अणेगक्खरिए अगेगक्खरिए अणेगविहे पन्नत्ते तं जहा कण्णा वीणा लता माला से तं अगक्खरिए अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते तं जहा जीवनामे य अजीवनामे य से किं तं जीवनामे जीवनामे अणेगविहे पत्ते तं जहा- देवदतो जण्णदत्तो विण्डुदत्तो सोमदत्तो से तं जीवनामे से किं तं अजीवनामे अजीवनामे अणेगविहे पत्रत्ते तं जहा घडो पड़ो कड़ो रहो से तं अजीयनामे अहवा दुनामे दुविहे पत्ते तं जहा - विसेसिए य अविसेसिए य अविसेसिए पव्वे विसेसिए जीवदव्वे य अजीवदव्वे य अविसेसिए जीवदव्वे विसेसिए नेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे अविसेसिए नेरइए विसेसिए रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूपप्पभाए तमाए तमतमाए अविसेसिए रयणप्पभापुढविनेरइए विसेसिए पत्तए य अपञ्जतए य एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढविनेरइए विसेसिए पत्तए य अपजत्तए य अविसेसिए तिरिक्खजोणिए विसेसिए
SR No.009775
Book TitleAgam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy