SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाहा - ४१२ (४१२) एमेव यजंतमिवि तचलग संखडि खीरेय आवणाईसुं सामन्त्रं पडिकुटुं कप्पइ घेत्तुं अनुनायं ॥३८२।।-382 (४१३) चुलत्ति दारमहुणा बहुक्त्तव्यतितं कयं पच्छा यन्त्रेइ गुरु सो पुण सामियहत्यीण विवेओ ||३८३||-383 (१४) छिन्नमछिनो दुविहो होइ अछिनो निसिह अणिसिद्धो छिन्नभि चुल्लगमी कप्पइ घेत्तुंनिसिष्टुमि ॥३८४11-384 (14) छिन्नो दिमदिवो जोयनिसिहो भये अछित्रीय सो कप्पइ इयरो उण अदिदिवो वऽणुनाओ ॥३८५||-385 (४१६) अणिसिट्ठमनुनायं कप्पइ धेत्तुं तहेव अदिई जास्सय अनिसिहन कम्पई कप्पइ अदिट्ट ॥३८६!1-986 (४१७) निवपिंडो गयभत्तं गहणाई अंतराइयमदिनं डोंबस्स संतिएविहुअभिक्ख वसहीय फेडणया ||३८७|1-387 (10) अज्झोयरओ तिविहो जातिय सघरमीसपासंडे मूलंमिय पुवकये ओयरई तिण्ह अट्ठाए ||३८८||-388 (11) तंडुलजलआयाणे पुष्फफले सागवेसणे लोणे परिमाणे नाणतं अज्झोयरमीसजाएय ॥३८९1-389 (४२०) जातिए विसोही सघरपासंडिमीसए पूई छिन्ने विसोहि दिमि कप्पई न कप्पई सेसं ॥३९०||-390 (४२१) छिनमितओ उक्कड्ढियमिकप्पइ पिहीकए सेसं आहावणाए दिन्नं च तत्तियं कप्पए सेसं ॥३९१||-391 (४२२) एसो सोलसमेओदुहा कीरई उग्गमो एगो विसोहिकोडी अविसोही उचावरा ॥३९२॥-392 (४२३) आहाकम्मुद्देसिय चरमतिगंपूह मीसजाए य बायरपाहुडियाविय अझोयरए य चरिमदुर्ग ॥३९३||-393 (१२) उगमकोडी अवयव लेथालेवे य अकयए कप्पे कंजियआयामगचाउलोयसंसट्ठपईओ ॥३९४।-394 (४२५) सुक्केणऽविजं छिक्कंतु असुइणा घोवए जहा लोए इह सुक्केणऽविछिक्कं दोवइ कम्मेण भाणंतु IR८ामा.-28 (२६) लेवालेवतिजवुत्तंजंपिदव्यमलेवर्ड तंपिपेतुन कप्पति तक्काइ किमुलेवर्ड ॥२९॥ पा.-30 (४२७) आहायजं कीरइतंतु कम्मं वजेहिही ओयणमेगमेव सोवीरआ यामग चाउलो वा दगं कम्मति तोतागहणं करेति ॥३०॥ मा.-40 (४२८) सेसा विसोहिकोडी मत्तं पाण विधि जहसत्ति अणलक्खिय मीसदवे सव्यविवेगेऽवयव सुद्धो ॥३९५||-995 (४२१) दव्याइओ विवेगो दवेजंदबजंजहिं खेत्तो काले अकालहीणं असढोजपस्सई मावे . ॥३९६||-380 For Private And Personal Use Only
SR No.009771
Book TitleAgam 41B Ohnijjutti Mulsutt 02B Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages52
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 41, & agam_pindniryukti
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy