SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गाना-७० (७०) 11७०1-70 (७१) ७१171 ७२/72 ||७३/-73 11७४174 [७५||-75 ||७६/-70 ॥७७177 ७८17a तह थिइ-संघयणोपय-संपत्रा तदुपएण हीणाय आय-परोभय-नोभय-तरगा तह अन्नतरगाय । कप्पट्ठियादओ यि य घउरोजे सेयरा समक्खाया सावेरखेयर-भेयादओ विजे ताण पुरिसाणं जोजह-सत्तो-बहुत्तर-गुणो व तस्साहियं पि देवाहि हीणस्स हीणतरगं झोसेज व सव्व-हीणस्स एत्य पुण बहुतरां भिक्खुणो त्ति अकयकरणाणभिगया य जंतेण जीयमट्ठमभतंतं निब्बियाईयं (७४) आउट्टियाइ दप्प-प्पमाय-कप्पेहि वा निसेवेचा दव्वं खेतं कालं मायं वा सेयओ पुरिसो जंजीय-दानमुत्तं एवं पायं पमायसहियस्स एतो चिय ठाणंतरसेगं वड्डेज दप्पक्ओ आउट्टियाइ ठाणंतरं च सद्धाणमेव वा देज्जा कपेण पडिक्कमणं तदुमयमहवा विणिहिट्रं आलोयण कालम्मि यि संकेस-विसोहि-भावओ नाउं हीणं वाहियं वा तमत्तं वा विदेशाहि इति दवाइ-बहुनाणे गुरु-सेवाए य बहुतरं देजा होणतरे हीणतरं हीणतरे जाव झोस त्ति (७९) झोसिज्जइ सुबहुं पिहजीएणऽनंतवारिहं वहओ चेयावच्चकरस्स य दिअइसाणुग्गहतरं वा । तव-गविओ तबस्स य असमत्थो तवमसदहतोय तवसा यजो न दम्मइ अइपरिणाम-प्पसंगीय सुबहुत्तर-गुण-मंसी छेयावत्तिसु पसञ्जमाणो य पासत्थाई जो वियजईण पडितप्पिओ बहुसो उक्कोसं तव-भूमिसमईओ साबसेस-चरणो य छेयं पणगाईयं पावइ जाधरइ परियाओ आउट्टियाइ पंचिंदिय-धाए मेहुणे यदप्पेणं सेसेसुक्कोसाभिक्ख-सेवणाईसुतीसुंपि तव-गवियाइएसुय मूलुत्तर-दोस-वइयर-गए दसण-चरितवन्ते चियत्त-किच्चे य सेहे य अचन्तोसनेसुयपरलिंग-दुगेय मूलकम्मे य भिक्खुम्मिय विहिय-तवे ऽणव-पारंचियं पत्ते छएण उ परियाए ऽणवठ्ठ-पारंचियावसाय मूलं मूलावत्तिसु बहुसो य पसजओ मणियं (८७) उक्कोसंबहुसोवा पउनु-चित्तो वितेणियं कुणइ पहरइ जो य स-पक्खे निरवेक्खो घोर-परिणामो (८८) अहिसेओ सब्बेसु वि बहुसो पारंचियादराहेसु अणवठ्ठप्पावत्तिसु पसञ्जमाणो अणेगासु १७९॥-79 ।।८०0-80 ||८9181 ॥८२॥-82 1८३1-83 1८४-84 ॥८५1-85 ||८६/-88 ||७|87 11८८11-88 For Private And Personal Use Only
SR No.009766
Book TitleAgam 38A Jiyakappo Chheysutt 05A Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages21
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 38, & agam_jitkalpa
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy