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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देसो-७ ( १७५) नो कप्पइ निष्गंथाण वा निग्गंधीण वा असम्झाइए सज्झायं करेत्तए ।१६ 14 (१७६) कप्पइ निग्गंथाणं या निग्गंधीण या सज्झाइए सज्झायं करेत्तए 19७1-14R (१७७) नो कप्पइ निग्गंथाण या निग्गंधीण या अप्पणी असज्झाइए सझायं करेत्तए कप्पइ यह अण्णमण्णस्स वायणं दलइत्तए १८/-14R (१७८) तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स तीसवासपरियायाए समणीए निग्गंधीए कप्पइ उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए । १९/- 15 ( १७९) पंचवासपरियारस समणस्स निथस्स सङिवासपरियायाए समणीए निग्गंधीए कम्पइ आयरियत्ताए उद्दिसित्तए । २०1-16 १९ (१८०) गामाणुगामं दूइजमाणे भिक्खू य आहा वीसंभेजा तं च सरीरगं केइ साहम्मिया पासेज्जा कप्पड़ से तं सरीरगं मा सागारियमिति कट्टु थंडिले बहुफासुए पडिले हित्ता पमजित्ता परिवेत्तए अस्थियाई त्य केइ साहम्मियसंतिए उवगरणजाए परिहरणारिहे कप्पइ से सागारकडं गहाय दोघं पि ओग्गहं अनुण्णवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए । २१ /- 17 (१८१) सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउंजेज्जा से य वक्कइयं वएजा इमम्मि य इमम्मिय ओवा सपणा निग्या परिवसंति से सागारिए पारिहारिए से य नो वएजा चक्कइए वएज्जाइमम्मिय इमम्मिय ओवासे समणा निष्पांथा परिवसंतु से सागारिए पारिहारिए दो वि ते वएना दो वि सागारिया पारिहारिया | २२|-18 (१८२) सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा से य कइयं बएज्जा - इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निष्गंधा परिवसंति से सागारिए पारिहारिए से य नो यएचा कइएचएला-इमम्मि य इमम्मि य ओवा समणा निथा परिवसंतु से सागारिए पारिहारिए दो वि ते वएज्जा दो वि सागारिया पारिहारिया | २३/-19 (१८३) विहवधूया नातिकुलवासिणी सावि ताव ओग्गहं अनुष्णवेयव्या किमंग पुण पिया वा भावा वा पुत्ते या पहेवि ओग्गहे ओगेण्डियव्वे । २४।-20 (१८४) पहिए वि ओप्यहं अनुण्णवेयव्वे | २५/-21 (१८५ ) से रायपरियट्टेसु संथडेसु अव्वोगडेसु अव्वोच्छित्रेसु अपरपरिग्गहिएसु सोव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिठ्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे १२६/-22 (१८६ ) से रज्जपरिवट्टेसु असंथडेसु दोगडेसु वोच्छित्रेसु परपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अड्डा दोघं पि ओग्गहे अनुण्णवेयव्वे | २७ -23 त्ति बेमि सत्तमो उद्देसो समत्तो। अटुमो उद्देसो (१८७) गाहा उदू पज्जोसविए ताए गाहाए ताए पएसाए ताए उवासंतराए जमिणं-जमिणं सेज्जासंधारगं लभेञ्जा तमिणं-तमिणं-ममेव सिया घेरा य से अणुजाणेज्जा तस्सेव सिया थेरा य से नो अनुजाणेज्जा एवं से कप्पइ अहाराइणियाए सेज्जासंधारगं पडिग्गाहेतए 19 -1 (१८८) से अहातहुसगं सेजासंधारगं गवेसेना जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव गाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाण परिवहित्तए एस मे हेमंतगिम्हासु भविस्स । २।-2 (१८९) से य अहालहुसगं सेज्जासंधारगं गवेसेज्जा जं चक्किया एगेणं हत्येणं ओगिज्झ जाएगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए एस मे यासावासासु भविस्सा | ३३-१ For Private And Personal Use Only
SR No.009764
Book TitleAgam 36 Vavahara Chheysutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size1 MB
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