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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुहकपो - २०५७ (५५७) नो कप्पइ निगंथीए एगाणियाए होत्या १५॥18 (१५८) नो कप्पइ निग्गंधीए एगाणियाए गाहाबइकुलं भत्ताए या पाणाए वा निक्खमित्तए दापविसित्तए वा |१६|-18 (१५९) नो कप्पइ निगंथीए एगाणियाए बहिया वियारभूमि दा विहारभूमि या निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ।१७1-17 (१६०) नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए गामाणुगाम दूइज्जित्तए।१८118 (११) नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए वासायासं वत्थए ।१९।-12 (११२) नो कप्पइ निग्गंधीए अचेलियाए होत्तए।२०।-20 (१६३) नो कप्पइ निग्गंथीए अपाइयाए होत्तए।२१121 (१६) नो कप्पइ निग्गंथीए बोसट्टकाइयाए होतए ।२२।-222 (१६५) नो कपइ निगंथीए बहिया गामस्स दा जाव संनिवेसस्स वा उड्ढं याहाओ पगिझिय-पगिझिय सूराभिमुहीए एगपाइयाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए।२३1-23 (५५) कप्पइ से उवस्सपस्स अंतोवगडाए संघाडिपडिबद्धाए समतलपाइयाए पलंबियबाहियाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए।२४|-24 (१६७) नो कप्पइनिग्गंथीएठाणाययाए होत्तए ।२५1-25 (१६८) नो कप्पइ निग्गंथीए पडिमट्ठाइयाए होत्तए।२६/-28 (१५९) नो कप्पइ निग्गंथीए ठाणुक्कडियासणियाए होत्तए।२७।-27 (१७०) नो कप्पइ निग्गंथीए नेसज्जियाए होत्तए।२८1-28 (१७१) नो कप्पइ निग्गंथीए वीरासणियाए होत्तए।२९॥29 (१७२) नो कप्पइनिग्गंथीएदंडासणियाए होत्तए।३०।-30 (१७३) नो कप्पड़ निग्गंथीए लगंडसाइयाए होत्तए ।३9431 (१७४) नो कप्पइ निग्गंथीए ओमंथियाएहोत्तए ।३२:32 (१७५) नो कप्पइ निग्गंथीए उत्ताणियाए होत्तए।३३।-33 (१७६) नो कप्पइ निग्गंथीए अंबखुजियाए होतए।३४|-34 (१७७) नो कप्पइ निग्गंथीए एगपासियाए होतए।३५/36 (१७८) नो कप्पइ निगयीणं आकुंचणपट्टगंधारितए वा परिहरित्तए या३६|38 (१७१) कपइ निगंयाणं आकुंचणपट्टगंधारित्तए वा परिहरित्तए वा।३७/37 (१८०) नो कपइनिगंथीणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए या तुयट्टित्तए या ३८1-38 (१८१) कप्पइ निगंयाणं सायस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए या तुपट्टित्तए वा।३९।-39 (१८२) नो कप्पड निगंथीणं सविसाणंसि पीटसि वा फलगं सि या आसइत्तए या तुयट्टितए वा ४०|-40 (१८३) कप्पइ निगंयाणंसविसाणंसिजाव आसइत्तए वा तुपट्टित्तए वा।।91-41 (१८४) नो कप्पइ निगंथीणं सवेंटयं लाउयं धारितए वा परिहरित्तए वा ।R42 (१८५) कप्पइ निग्गंथाणंसवेंटयं लाउयं धारित्तए या परिहरित्तए या।।३।-49 (१८६) नो कप्पइनिग्गंधीणं सवेंटियं पायसकेसरियं धारित्तए या परिहरितए वा४।-44 (१८७) कप्पइ निग्गंयाणं सवेटियं पायकेसरियंधारित्तए वा परिहरित्तए वा।५।-45 (१८८) नो कप्पइ निग्गंथीणं दारुदंडयं पायपुंछणं धारितए वा परिहरित्तए वा।।६।-48 For Private And Personal Use Only
SR No.009763
Book TitleAgam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 35, & agam_bruhatkalpa
File Size1 MB
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