SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरातकमो • 1/10 (१००) नो कप्पइ निगंथाण या निर्णयीण वा अंतरगिहसि या इमाइं पंच महव्ययाई समावणाई आइक्खित्तए या विभावेत्तए वा किहित्तए वा पवेइत्तए या ननत्य एगनाएण घा एगवागरण वा एगगहाए या एगसिलोएण वासे विय ठिया नोचेवणं अठिया ।२०-20 (101) नो कप्पइ निगंयाण वा निगपीण वा पाहिहारिय सेना-संथारयं आयाए अपडि संपव्वइत्तएR91-21 (१०२) नो कप्पइ निग्गंधाण या निर्णयीण वा सागारियसंतियं सेझा-संधारयं आयाए अविकरणं कट्ट संपब्बइत्तए ।२२|-22 (१०३) इह खलु निगंयाण वा निग्गयीण या पाडिहारिए वा सागारियसंतिए या सेखासंथारए विप्पणसेशा से य अनुगवेसियव्ये सिया से य अनुगवेस्समाणे लभेा तस्सेव पडिदापव्वे सिया से य अनुगवेस्सपाणे नो लमेजा एवं से कप्पइ दोमं पि ओग्गहं अनुण्णवित्ता परिहारंपरिहरित्तए २३)-29 (१०४) जदिवसं समणा निगंया सेना-संथारयं विपजहंति तद्दिवसं अवरे समणा निग्गया हव्यमागच्छेजा सघेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिटुइ-अहालंदमवि ओग्गहे।२४-24 (१०५) अत्यि या इत्य केइ उयस्सयपरियावन्ने अचित्ते परिहरणारिहे सन्नेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा घिदुइ-अहालंमदवि ओग्गहे।२५1-28 (१०) से वत्यूसु अव्यायडेसु अव्योगडेसु अपरपरिगहिएसु अमरपरिग्गहिएसु सभेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा थिइ-अहालंदमदिओग्गहे २६/-28 (१०७) से वत्यूसु वावडेसु दोगडेसुपरपरिगहिएसुभिक्खुमावस्स अट्टाए दोच्चं पिओग्गहे अनुण्णवेयवे सिया-अहालंदमदिओग्गहे।२७/-27 (१०८) से अणुकुडेसु वा अणुभित्तीसुवा अनुवरियासु वा अणुफरिहासु वा अनुपंथेसु या अनुमेरासु वा सन्चैव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ-अहालंदमविओग्गहे ।२८)-28 (१०९) गामंसि वा जाव रायहाणीए वा बहिया सेणं सन्निविट्ठ पेहाए कप्पइ निगंधाण वा निग्गयीण वा तदिवसं भिक्खायरियाए गंतूणं पडिएतए नो से कप्पइ तं रयणि तत्येव उवाइणावेत्तए जे खलु निगये वा निर्गयी वा तं रयणि तत्येव उवाइणावेइ उवाइणावेंतं या साइजइ से दुहओ वि अइक्कममाणे आवाइ चाउमासियं परिहारष्ट्वाणं अनुग्याइयं ।२९।-20 (110) से गामंसि या जाव सत्रिवेसंति वा कप्पइ निगंयाण वा निग्गंधीण वा सव्यओ समंता सकोसे जोयणं ओग्गहं ओगिण्हिताणं चिडित्तए परिहरितए त्ति बेमि।३०130 .तइओ उदेतो सफ्तो. |चउत्यो-उद्देसो (110) तओ अनुग्घाइया पत्रत्ता तं जहा-हत्यकामं करेमाणे मेहुणं पडिसेवमाणे राईभोयणं मुंजमाणे।91-1 (१२) तओ पारंचिया दुहेपारंचिए पमत्तेपारंचिए अण्णपणं करेमाणे पारंचिए ।२१2 (111) तओ अणबट्टप्पा पन्नत्ता तं जहा-साहम्मियाणं तेणियं करेमाणे अन्नधम्मियाणं तेणियं करेमाणे हत्यदालं दलमाणे।३13 (१४) तओनो कप्पंति पव्यावेत्तएतंजहा-पंडए कीवे याइए।४14 (१५) तओ नो कप्पंति] मुंडावेत्तए सिक्खावेत्तए उवट्ठावेत्तए संभुंजित्तए संवासित्तए तं For Private And Personal Use Only
SR No.009763
Book TitleAgam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 35, & agam_bruhatkalpa
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy