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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फुलकप्पो - १/११ पडिग्गाहित्तए १६५-16 (६७)कप्पइनिग्गंथाणवानिगंथीणयासागारियपिडंबहियानीहडंसंसद्वंपडि०१७-17 (16) नो कपइ निग्गंधाण वा निग्गंधीण वा सागारियपिंडं बहिया नीहडं असंसर्दु संसर्ल्ड कोतए जे खलु निगये या निग्गंथी वा सागारियपिंडं चहिया नीहडं असंसठं संसटुं करेइ करेंतं वा साइजइसे दुहओ वि अइक्कममाणे आयाइ चाउम्पासियं परिहारष्वाण अनुग्घाइयं1०८1-18 (१९) सागारियस्स आहडिया सागारिएण पडिग्गाहिया तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।१९i-19 (७०) सागारियस्स आहडिया सागारिएण अपडिग्गाहिया तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए।२०1-20 (७१) सागारियस्सनीहडियापरेणअपडिागाहियातम्हादावएनोसेकष्पइपडि०२१1-21 (७२) सागारियस्स नीहिया परेण पडिग्गाहिया तम्हा दावएएवं से कप्पइ पडि०२२१-22 (७३) सामारियस्स असियाओ अविभत्ताओ अव्वोच्छिन्नाओ अव्योगडाओ अनिझूढाओ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहहित्तए।२३।-23 (७४) सामारियस्स अंसियाओ विभत्ताओ योच्छिन्नाओ योगजाओ निशूढाओ तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।२४।-24 (४५) सागारिपस्स पूयाभते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए सागारिपस्स उवगरणजाए निहिए निप्तहे पाहिहारिए तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो देइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।२५/-25 (७६) सापारियस यामते उदेसिए चेइए पाहडियाए सागारिपस्स उवगरणजाए निहिए निप्तहे पाडिहारिए तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहितए ।२६।-28 (७७) सागारियस्स पूयापत्ते उद्देसिए घेइए जाव निसट्टे अपाडिहारिए तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो देइ तम्हा दावएनो से कप्पइ पडिमाहितए।२७-27 ve) सागारियस्स पूयापत्ते उदेसिए चेइए पाहडियाए सागारियस्स उवगरणजाए निट्टिए निसट्टे अपाडिहारिए तंनो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए एवं से कप्पइपडिागाहित्तए।२८1-28 (७५) कप्पइ निग्गंयाण या निग्गंधीण या इमाई पंच वत्याई धारित्तए वा परिहरित्तए या तं जहा-जंगिए अंगिए साणए पोत्तए तिरीडपट्टे नाम पंचमे।२९1-29 (ca) कप्पइ निगंधाण वा निग्गंथीण वा इमाइंपंच रयहरणाई धारितए वापरिहरित्तए वा तंजहा-उण्णुए उहिए साणए वच्चापिचिए मुंजापिछिए नामपंचमे-त्ति बेमि।३०।-30 विओ उद्देसो समतो. तइओ-उद्देसो (८१) नो कप्पइ निग्गंथाणं निग्गंधीणं उपस्सयंसि चिट्टित्तए वा निसीइत्तए तुयट्टित्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असणं वा पाणं या खाइमं पा साइमं घा आहारमाहारेत्तए उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंधाणं वा परिहवेत्तए सम्झायं वा करेत्तए झाणं या माइत्तए काउस्सागं वा ठाणंठाइत्तए19-1 For Private And Personal Use Only
SR No.009763
Book TitleAgam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 35, & agam_bruhatkalpa
File Size1 MB
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