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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मित- २१२ (१२५)जे मिक्खू नावं पामियति पापियायेति पामियमा देजमाणंदुरुहति दुरुहंत या सातिअति 139 ११६३) जे पिम्बू नावं परिपतुति परियशवेति परियहमाइदेउमाणंदुरुहति दुरुहंत या सातिजति । (१२) जे पिकवू नावं अच्छेनं अनिसिष्ठं अमिहडमा देछापाणं दुरुहति दुरुस्तं वा सातिप्रति । (१२६५ जेभिक्खयलाओनावंजले ओकासावेति ओकसावेत यासातिञ्जतिक्षा (१२६६) जेभिक्खू जलाओ नावं घले उक्कसावेति उकसावेंतं वा सातिअति +7 (१२९०) जेभिक्खू पुण्ण नावं उस्सिंचति उसिवंतं वा सातिञ्जति।८18 (१२५८) जेभिक्खू पडिणावियं कट्टनावाए दुरुहति दुरुहंतं वासातिअति।९।-9 (१२६१) जेमिक्खु पङिनावियंकटुनावाए दुरहति दुरुरंतं वा सातिजति।१०।-11 (१२००) जे मिक्खू उटगामिणि या नावं अहोगामिणिं वा नावं दुरुहति दुरुंहतं वा सातिप्रति 1991-12 (१२0१) जे पिक्खू जोयाणवेलागामिणि वा अद्धजोयणवेलागामिणि या नावं दुरुहति दुरुतंवा सातिञ्जति १२ (१२७२) जे मिक्खू नावं आकसावेति ओकसावेति खेवावेति रञ्जणा वा कड्दति कदंतं या सातिशति ।।1-14 १२४१) जेभिक्खू नावं अलित्ताएष या फिहएण वा वंसेण वा वलेण वा वाहेति वाहेंत वा सातिप्रति १४|-17 (१२) जे मिक्खू नावाओ उदगं मायणेण वा पडिग्गहेण वा मत्तेण या नावा उस्सिवणेण वा उस्सियति उस्सिंचंतं वा सातिअति ।१५1-18 (११०५) जेभिक्खू नावं रतिमेण उदगंजासमणि उवरुवरि कालमाणि पेहाय हत्येण या पाएण या आसत्यपतेण चा कुसपत्तेण वा मट्टियाए या चेलकण्णेण वा पडिपिहेति पडिपिहेतं या सातिअति।१६1-19 (१२७१)जे मिक्खू नावागमओ नावागयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०११७1-20 (110) जेभिक्खू नावागओ जलगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०1१121 (१२७) जेभिक्ख नावागओपंकगयस्सअसणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०11९1-22 (१२७१)जे भिक्खू नावागओयलगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिगहेंतं०१२01-23 (१२८०) जे मिक्ख जलगओनावागयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं० 1291-20 (१२८१)जे भिक्खजलगओ जलगयस्सअसणं० पडिग्गाहेतिपडिग्गाहेंतं०२२-21 (१२८२) जे मिक्खू जलगओ पंकगयरस असणं० पडिग्गहेतिपडिग्गाहेत०१२३122 (१२८३) जे भिक्खुजलगओ यलगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पग्गिाहेंत०।२४123 (१२८४) जे भिक्खूपंकगओनावागयरस असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०२५1-20 (१२८५) जे भिक्खूपंकग जलगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०।२६।(१२८६) जे मिक्खू पंकगओ पंकगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंत०।२७५ (१९८०) जेभिक्खूपंकगो पलगयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं०२८)(१२८८)जेभिक्खु यलगओवागयस्स असणं० पडिग्गाहेति पडिगाहेंत०।२९१ For Private And Personal Use Only
SR No.009762
Book TitleAgam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages90
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 34, & agam_nishith
File Size2 MB
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