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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसीहं - 11/०७ (८०७) जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा पारस्यियाण या पसिणं वागरेइ वागरेंतं या सातिअति ।१९:-19 (८०८) जे मिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारस्थियाण या पसिणापसिणं यागरेइ वागरेंतं वा सातिअति १२०1-20 (८०१) जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण या तीतं निमित्तं यागरेइ वागरेतं वा सातिजति।२१।-21 (८१०) जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण या लक्खणं वागरेइ वागरेंतं वा सातिजति।२२१-22 (८११) जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारस्थियाण वा सुमिणं यागरेइ वागरेंतं वा सातिजति।२३1-24 (८१२) जेभिक्खुअण्णउत्थियाणवागारत्थियाणवाविजंपउंजतिपउंजंतंया०२४1-28 (८१३) जेभिक्खूअण्णउत्थियाणवागारस्थियाणवामंतपउंजतिपउंजतंदा०२५1-26 (८१४) जेभिक्खूअण्णउस्थियाणवागारस्थियाणवाजोगंपउंजतिपउंजंतंवा०।२६।-27 (८१५) जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारस्थियाण या नट्ठाणं मूढाणं विपरियासियाणं मागं वा पवेदेति संधि वा पवेदेति मग्गाओ वा संधि पवेदेति संधीओ या मागं पवेदेति पयेदेतं या सातिजति।२७1-28 (८१६) जे पिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा धाउं पवेदेति पवेदेंतं वा०२८129 (८१७) जेभिस्खूअण्णउत्थियाणया गारस्थियाण यानिहिं पवेदेतिपवेदेंतवा०।२९।-30 (८१८) जेभिक्खु मत्तए अप्पाणं देहति देहंतं या सातिअति।३०1-31 (८१९) जे पिक्खू अदाए अप्पाणं देहति देहंत वा सातिजति ।३१132 (८२०) जे भिक्खू असीए अप्पाणं देहति देहंतं या सातिजति।३२॥33 (८२१) जे भिक्खू मणीए अप्पाणं देहति देहंत या सातिजति ।३३।-34 (८२२) जे भिक्खू उड्डपाणे अप्पाणं देहति देहंतं वा सातित्ति।३४.35 (८२३) जे भिक्खू तेल्ले अप्पाणं देहति देहतं वा सातिजति ।३५198 (८२५) जे भिक्खू फाणिए अप्पाणं देहति देहंतं वा सातिञ्जति।३६1-39 (८२५) जे मिक्खू वसाए अप्पाणंदेहति देहंत या सातिशति ।३७/41 (८२६) जे मिक्खू वमणं करेति करेंत वा सातिजति ३८142 (८२७) जे भिक्खू विरेयणं करेति करेंतं वा सातिजति ।३९:43 (८२८) जे भिक्खू बमण-विरेपणं करेति करेंतं वा सातिञ्जति।४०144 (८२९) जे भिक्खू अरोगे य परिकम्मं करेति करेंतं वा सातिजति।४१)-45 (८३०) जे भिक्खू पासत्यं वंदति वंदंतं वा सातिजति।।२।-48 (८३१) जे भिक्खू पासत्यं पसंसति पसंसंतं वा सातिजति ।४३:47 (८३२) जे भिक्खू ओसन्नं वंदति वंदंतं वा सातिजति ।।४180 (८३३) जे भिक्खू ओसन्नं पसंसति पसंसंतं वासातिनति ।४५।-51 (८३४) जे पिक्खू कुसीलं वंदति वंदंतं वा सातिजति ।४६५-48 (८३५) जे मिक्यू कुसीनं पसंसति पसंसंतं वा सातिनति।४७149 (८३६) जे भिक्ख नितियं वंदति वंदंतं वा सातिशति ।४८1-64 For Private And Personal Use Only
SR No.009762
Book TitleAgam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages90
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 34, & agam_nishith
File Size2 MB
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