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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 निसीह - ७/५०८ कप्पेश या संठवेज वा कप्तं पा संठवेंतं वा सातिअति।३९।-30 (५०९)जे भिक्खू माउग्गामास मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दीहाइं जंघ-रोमाइंकप्पेज वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिअति ।१०।-40 (५१०) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण वडियाए अण्णमण्णस्स दोहाई यस्थि रोमाइंकप्पेन वासंठवेज वा कप्तं वा संठवेंत या सातिञ्जति ।४941 (५११) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अपणमण्णस्स दीह-रोमाई कप्पेज वा संठवेज्ज वा कप्त वा संठवेंतं वा सातिजति ।४२/-47 (५१२) जे पिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई कक्खाण-रोमाई कप्पेन वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंत वा सातिञ्जति।।३।-43 (५१३) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई मंसु-रोमाई कप्पेच वासंठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिञ्जति ।।४1-44 (९१४) जे भिक्खू माउणामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दंते आधेसेज वा पयंसेज वाआघंसंतं वापसंतं सातिजति !४५1-45 (५१५) जे भिक्खू माउणामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दंते उच्छोलेज वा पधोएज वाउच्छोलेंतं वा पधोएंत वा सातिजति।४६।-48 (९१६) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण बडिपाए अण्णमण्णस दंते फुमेञ्ज था रएन वा फुतं वा रएतं वा सातिञ्जति।४७/-47 (९१७) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स उडे आमजेज वा पमजेज्ज वाआमजंतं वा पमअंतं वा सातिजति ।।८148 (५१८) जे भिक्खू माउणणामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स उडे संवाहेज वा पलिपद्देल वासंवाहेंत वा पलिमद्देतं वा सातिजति ।४९)-49 (५११) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहण-यडियाए अण्णमण्णस्स उडे तेल्लेण वा पएण वा वसाए वा नवणीएण वा अमंगेश वा मक्खेज वा अप्रगतं या मखेंतं वा सातिञ्जति ५०1-50 (५२०) जे भिक्खू माउग्गामस मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स उडे लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उन्चट्टेल वा उलोलेंतंवा उच्चतं वा सातिअति।५१1-51 (५२१) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अपणमण्णस्स उडे सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण या उच्छोलेज वा पधोएज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंत या सातिप्रति ५२१-६५ (५२२) जे मिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स उठे फुमेन या रएज वा फुतं वा रएंतं वा सातिजति ।५३१-४७ (५२३) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स दीहाई उत्तरोट्टरोमाई कप्पेन वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिजति, जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए अण्णमण्णस्स नासा-रोमाइंकप्पेज वा संठवेझ वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिप्रति ।५४|-60 (५२४) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-चडियाए अण्णमण्णस्स दोहाई अच्छि-पत्ताई कप्पेन वा संठवेन वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिअति।५५/58 (५२५) जे पिक्खु माउग्गामस्स मेहण-वडियाए अण्णमष्णस्स अच्छीणि आमजेज वा पमजेज वा आमजंतं वा पमअंतं वा सातिजति।५६-50 For Private And Personal Use Only
SR No.009762
Book TitleAgam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages90
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 34, & agam_nishith
File Size2 MB
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