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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ मंदीर फनती-२५० इगुणालीसाए य सहिभाएहिं जोयणस्स सविभागं च एगसहिहा छेत्ता सहीए चुण्णियामागेहिं सूरिए चक्खुफासंहव्यमागच्छइसे पविसमाणे सूरिए दोघंसि अहोरत्तंसि बाहिरतचं मंडसं उवसंकमिता चारं चरई जया णं भंते सुरिए बाहिरतचं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं एगमेगेणं महत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ गोयमा पंच-पंच जोयणसहस्साई तिण्णिय चउरुत्तरे जोयणसए इगुणालीसंच सद्धिमाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एगणपनाए य सहिभाएहि जोयणस्स सहिभागं च एगसट्टिहा छेत्ता तेवीसाए चुणियामाएहिं सूरिए चक्षुप्फासं हव्यमागच्छइ एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणंतरं मंडल संकममाणे-संकममाणे अष्ट्ठारस-अट्ठारस सटिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहत्तगइ निवड्देमाणे-निवडेमाणे सव्वब्यंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरइ एस गं दोच्चे छम्पासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पञ्जवसाणे एसणं आइच्चे संवच्छो एसणं आइनस्स संवच्छरस्स पनवसाणे पत्रत्ते।१३४1-133 (२५९) जया णं पते सूरिए सव्वब्यंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवइ गोयमा तया णं उत्तपकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवाइ जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवइ से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयपाणे पढमंसि अहोरसि अमंतराणंतरं मंडलं उदसंकमित्ता चारं चरइ जया णं भंते सूरिए अन्मंतराणंतरं मंडलं उयसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवाइ गोयमा तया णं अठारसमुहत्ते दिवसे मवइ दोहिं एगसहिभागमुहत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भयइ दोहि य एपसविभागमुहुतेतर्हि अहिया से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि जाव चारं चरइ तयाणं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवइ गोयमा तया णं अद्वारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भदइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया एवं खलु एएणं उवाएणं निखममाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयणंतरं मंडलं संकममागे-संकममाणे दो-दो एगसट्ठिभागमुहत्ते मंडले दिवसखेत्तस्स निवड्देमाणे-निवड्ढेमाणे रयणिखेतस्स अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्देमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइं जया णं सूरिए सव्वव्यंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सव्वब्भंतरमंडलं पणिहायं एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिण्णि छावडे एगसद्विभागमुहत्तसए दिवसखेत्तस्स निवड्ढेता रयणिखेतस्स अभिवड्देत्ताधारं चरइ जया णं मंते सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारंचरइ तयाणं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवई गोयमा तयाणं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अवारसमुहत्ता राई मवई जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे मवइ एस णं पढमे छम्पासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पञ्जयसाणे से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्पासे अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं घरइ जया णं भंते सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवाइ गोयमा अवारसमुहत्ता राई भवइ दोहिं एगसहिभागमुहुतेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे मवइ दोहिं एगसहिभागमुहत्तेहिं अहिए से पविसमाणे सूरिए दोघंसि अहोरतसि बाहिरतच्च मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइजया णं भंते सरिए बाहिरतचं मंडलं उयसंकमित्ता चारं चरइ तया णं केमहालए दिवसे केमहालया राई भवई गोयमा तया णं अट्ठार. समुहता राई भयइ चाहिं एगसविभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसद्धि For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
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