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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूरपन्नत्ती १/८/३० For Private And Personal Use Only · बाहल्लेणं सव्वावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाई विक्संयेणं एस णं अद्धा तेसीयसयपडुप्पण्णी पंचदसुतरे जोयणसए आहिताति वएज्जा ता अभितराओ मंडलवताओ बाहिरा पंडलवता बाहिराओ वा मंडल बताओ अमितरा मंडलवता एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएज्जा ता पंचदसुतरे जोयणसए अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहितेति वएजा ता अव्यंतरओ मंडलवताओ बाहिरा मंडलवता वाहिराओ वा मंडलवताओ अब्यंतरा मंडलवता एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएजाता पंचणवुत्तरे जोयणसए तेरस य एगट्टिभागे जोयणस्स आहितेति वएजा ता अमितराए मंडलवताए बाहिरा मंडलवता बाहिराए वा मंडलवताए अमितरा मंडलवता एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएञ्चाता पंचदसुत्तरे जोयणसए आहितेति वएज्जा । २०।-20 पढमे पाहुडे अट्टमं पाहुड पाहुडं समत्तं पढमं पाहुडं समत्तं । बीयं पाहुडं -:प मं पाहुडपा हु डं : (३१) ता कहं ते तिरिच्छ्रगती आहिताति वएज्जा तत्थ खलु इमाओ अट्ट पडिवतीओ पन्नत्ताओ तत्थ एगे एवमाहंसु-ता पुरत्विमाओ लोयंताओ पादो मिरीची आगासंसि उत्तिवइ सेणं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं मिरीयं आगासंसि विद्धंस - एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिदुइ से णं इमं तिरिवं लोवं तिरियं करे करेत्ता पञ्चत्थिसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासंसि विद्धसइ - एगे पुण एवमाहंसुता पुरत्थिमाओ लोवंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासं अनुपविस अनुपविसिता अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिइ - एगे पुण एवमाहंसु ता पुरस्थमा ओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ से णं इमं तिरियं तोयं तिरियं करेइ करेत्ता पचत्थिमिल्लेसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ - एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ भूरिए पुढविकायंसि उत्तिदृइ से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पचत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि अनुपविसइ अनुपविसित्ता अहे पंडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोर्यताओ पाओ सूरिए पुढविकापंसि उत्ति - एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिवइ सेणं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि पाओ सूरिए आउकायंसि विद्धसइएगे पुण एवमाहंसु-तापुरत्थमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिदृइ से णं इमं तिरियं लोवं तिरियं करेइ करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि अनुपविसइ अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुनरविअवरभूपुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकासि उत्तिइ - एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरविमाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साइं उड़ढं दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ से णं इमं दाहिणड्ढं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता उत्तरड्ढलोयं तमेव राओ से णं इमं उत्तरड्ढलोयं तिरियं करे करेत्ता दाहिणड्ढलोयं तमेव राओ से णं इमाई दाहिणुत्तरड्ढलोवाई तिरियं करेइ करेत्ता पुरस्थिमाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई जोयणसवाई बहूई जोयणसहस्साई उड्ढं दूरं उप्पइत्ता एत्य णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तट्ठि-वयं पुण एवं वयामो-ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणव
SR No.009742
Book TitleAgam 16 Surapannatti Uvangsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 16, & agam_suryapragnapti
File Size2 MB
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