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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पय-५ होणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेनगुणहीणे या अनंतगुणहीणे वा अह अमहिए अनंतमागमपहिए वा जाव अनंतगुणममहिए वा नीलवण्णपञ्जवेहिं लोहियवण्णपज्जवेहिं हालिद्दवण्णपञ्जवेहिं सुक्किलवण्णपञ्जवेहि य छट्ठाणवडिए सुब्मिगंधपञ्चवेहिं दुब्मिगंधपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए तित्तरसपञ्जवेहिं कडुयरसपञ्जवेहिं कसायरसपज्जवेहिं अंबिलरसपञ्जवेहि महुरसपनवेहिं य छट्ठाणयडिएकक्खडफासपनवेहिं मउयफासपनवेहिं गरुयफासपञ्जवेहिं लहुयफासपञ्जवेहिं सीयफासपजवेहिं उसिणफासपजदेहिं निद्धफासपञ्जवेहि लुक्खफासपजवेहिं यछट्ठाणवडिए आमिणिघोहियनाण पज्जवेहिं सुयनाण पज्जवेहिं ओहिनाण पज्जवेहिं मतिअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपज्जवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपज्जवेहि अचक्खुदंसणपज्जवेहिं ओहिदंसणपजवेहि य छहाणवडिते से एएणद्वेणं गोयमा एवं वुच्चति-नेरइयाणं नो संखेना नो असंखेज्जा अनंता पञ्जवा पन्नत्ता।१०४।-104 (३०९) असुरकुमारणं भंते केवतिया पनवा पन्नत्ता गोयमा अनंता पजवा पन्नत्ता से केणड्डेणं मंते एवं वुच्चइ-० गोयमा असुरकुमारे असुरकुमारस्स दव्यष्ट्ठयाए तुल्ले पदेसट्टयाएतुल्ले ओगाहणठ्ठयाएचउठाणवडिए ठितीएचउट्ठाणवडिए कालवण्णपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए एवं नीलवण्णपजवेहिं जाव सुकिकलवण्णपजवेहिं सुब्मिगंधपज्जवेहिं दुटिमगंधपज्जवेहिं तितरसपज्जवेहि जाव महुररसपञ्जवेहि कक्खडफासपजवेहिं जाव लुक्खफासपज्जवेहिं आभिणियोहियनाणपज्जवेहिं जाव ओहिनाणपज्जवेहिं मतिअन्नाणपज्जवेहिं जाव विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपनवेहिं जाव ओहिदसणपज्जवेहि य छठ्ठाणयडिते से तेणडेणं गोयमा एवं वुधति-असुरकुमाराणं अनंता पञ्जवा पन्नत्ताए जहानेरइया जहाअसुरकुमारातहानागकुमारावि जाव थणियकुमारा॥१०५-105 (३१०) पुढविकाइयाण मंते केवतिया पज्जवर पत्रत्ता गोयमा अनंता पज्जया पन्नत्ता से केणद्वेणं भंते एवं युच्चति-० गोयमा पुढविकाइया पुढविकाइयस्स दव्वट्ठयाएतुल्ले पदेसट्टयाएतुल्ले ओगाहणद्वयाए सियहीणे सियतुल्ले सियअब्महिए-जदिहीणे असंखेजभागहीणे वा संखेनभागहीणे वा वा संखेज्जभागहीणे या असंखेज्जगुणहीणे वा अह अमहिए असंखेनभागअन्महिए वा जाव असंखेजगुणअब्महिए वा ठितीए सियहीणे सियतुल्ले सियअब्भहिए-जदि होणे असंखेजभागहिणे वा संखेज्जभागहीणे वा संखेनगुणहीणे वा अह अमहिए असंखेजमागअमहिए वा जाव संखेजगुणअमहिए वा वण्णेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहि मतिअन्नाणपज्जवेहिं सुयअण्णाणपनवेहि अचक्खुदंसणपजवेहिं छट्ठाणपडिते, आउकाइयाणं भंते केवतिया पजवा पन्नत्ता गोयमा अनंता पज्जवा पन्नत्ता, से केपट्टेणं मंते एवं वुचति-० गोयमा आउकाइए आउकाइयस्स दवट्ठयाए तुल्ले पदेसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते ठितीए तिहाणवद्धिते वण्ण-गंध-रस-फासमतिअन्नाण-सुतअन्नाण-अचक्खुदंसणपनवेहि य छटाणवडिते, तेउकाइयाणं पुच्छा गोयमा अनंतापज़वापन्नत्ता, सेकेणटेणं मंते एवं वुच्चति-० गोयमा तेउकाइए तेउकाइयस्स दबट्टयाएतल्ले पदेसट्टयाएतुल्ले ओगाहणष्ठयाए चउट्ठाणवडिते ठितीए तिट्ठाणवडिते वण्ण-गंध-रस-फास-मतिअन्नाण-सुयअन्नाण-अचक्खुदं-सणपजवेहि य छट्ठाणवडिते, वाउकाइयाणं पुच्छा गोयमा वाउकाइयाणं अनंता पञ्जया पत्नत्ता, से केणटेणं भंते एवं बुन्नति-० गोयमा वाउकाइए बाउकाइयस्स दब्वट्ठयाएतुल्ले पदेसट्ठयाएतुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिते ठितीए तिहाणवड़िते वण्ण-गंध-रसफास-मतिअन्नाण-सुयअन्नाणअचक्खुदंसणपञ्जदेहि य छटाणवडिते वणस्सइकाइयाणं मंते केव For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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