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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३ उपरिममझिमगेवेजगा उपरिमउवरिमगेवेनगा ते समासतो दुविहा प०-पद्धत्तगाय अपनत्तगाय से तं गेवेनगा, से किं तं अनुत्तरोववाइया पंचविहा प०-विजया वेजयंता जयंता अपराजिता सव्वद्वसिद्धा ते समासतो दुविहा पन्नत्तातं जहा-पजत्तगा य अपजत्तगाय सेतं अनुत्तरोववाइया, से तंकप्पाईया, सेतं देमाणिया, सेतं देवा, सेत्तं पंचिंदिया,सेत्तंसंसारसमावण्णजीवपत्रवणा, सेत्तं जीवपन्नवणा, सेत्तंपनवणा।३८138 पइमं पयं सपत्तं | बिइयं-ठाणपयं (१९२) कहि णं मंते वादरपुढविकाइयाणं पञ्चत्तगाणं ठाणा पनत्ता गोयमा सट्ठाणेणं अहसु पुढवीसु तं जहा-रयणप्रभाए सक्करप्पमाए वालुयप्पमाए पंकप्पभाए धूमप्पमाए तमप्पमाए तमतमप्पमाए इसीपब्याराए, अहोलोए-पायालेसु भवणेसु भयणपत्थडेसुनिरएसुनिरयावलियासु निरयपत्थडेसु उड्ढलोए-कप्पेसु विमाणेतु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु तिरियलोए-रंकेसु कूडेसु सोलेसु सिहरीसु पब्भारेसु विजएसु वक्खारेसु वासेसु वासहरपव्वएसुवेलासु वेइयासुदारेसु तोरणेसु दीवेसु समुद्देसु एत्व णं बादरपुढविकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता उववाएणं लोयस्स अंसखेज्जइभागे समुग्घाएणं लोयम्स असंखेजइभागे सहाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, कहिणं भते वादरपुढविकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पत्रता गोयमा जत्येव दादरपुढविकाइयाणं पञ्जत्ताणं ठाणा तत्थेव बादरपुढविकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पत्रत्ता उववाएणं सब्बलोए समुप्पाएणं सव्वलोए सट्टागेणं लोयस्स असंखेजइभागे, कहि णं भंते सुहुमपुढविकाइयाणं पञ्जत्तगाणं अपञ्जतगाण य ठाणा पन्नत्ता गोयमा सुहमपुदविकाइया जे पजत्तगा जे य अपञ्जतगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोयपरियावषणगा पत्रत्ता समणाउसो, कहि णं मंते बादरआउल्काइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पनत्ता गोयमा सट्ठाणेणं सत्तसु घणोदघीसु सत्तसु घणोदधिवलएसु अहोलोए-पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु उड्ढलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु तिरियलोए-अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु विलपंतियासु उन्झरेसु निन्झरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसुसमुद्देसु सव्वेषु चेव जलासएसु जलट्ठाणेसु एत्थणं बादरआउक्काइयाणं पञ्जतगाणं ठाणा पन्नत्ता उववाएणं लोयस्स असंखेजइमागे सपुग्पाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सटाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे कहि णं मंते वादरआउक्काइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पत्रत्ता गोयमा जत्थेव वादरआउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरआउक्काइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नता उववाएणं सव्वलोए समुग्धाएणं सच्चलोए सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, कहि णं मंते सुहमआउ काइयाणं पञ्जत्तगाणं अपजत्तगाण य ठाणा पत्रत्ता गोयमा सुहमआउक्काइया जे पज्जत्तगाजे य अपज्जत्तगाते सव्बे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सबलोयपरियारण्णगा पत्रत्ता समणाउसो, कहि गंभंते बादरतेउकाइयाणं पञ्जत्तगाणं ठाणा पन्नता गोयमा सहाणेणं अंतो- मणुस्सखेतेअड्ढाइजेसु दीव-समुद्देसु निव्वाधाएणं पन्नरस कम्मभूमीसु वाघायं पडुच्चं पंचसु महाविदेहेसु एत्य णं बादरतेउक्काइयाणं पजतगाणं ठाणा पन्नत्ता उववाएणं लोयस्स अंसखेज-इमागे समुग्धाएणं लोयस्स असंखेजइमागे, कहि णं भंते सुहमआउक्काइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं य ठाणा For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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