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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पद- 9 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१ केवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य से त्तं सजोगिकेवलिखीकसायवीतरागदंसणारिया, से किं तं अजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागदंसणारिया दुविहा पत्रत्ता तं जहा-पढमसमय अजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया य अपढमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारिया व अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीतरागदंसणारियाय अचरिमसमयअजोगि केवलिखीणकायवीयरागदंसणारिया य से त्तं अजोगिकेवत्तिखीणकसायवीतरागदंसणारिया से तं केवलिखीणकसायवीतरागसणारिया से तं खीणकसायवीतरागदंसणारिया से तं वीयरागदंसणारिया से तं दंसणारिया से किं तं चरितारिया दुविहा पत्रत्ता तं जहा सरागचरितारिया य बीयरागचरितारिया य, से किं तं सरागचरित्तारिया - दुविहा पन्नत्ता तं जहा सुहुमसंपरायसरागचरितारिया य वायरसंपरायसरागचरितारिया य से किं तं सुहुमसंपरायसरागचरितारियादुविहा पत्रत्ता तं जहा- पढमसमयसुहुमसंपरायसरागचरितारिया य अपढमसमयमुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य अहवा चरिमसमयसुहुमसंपरायसरागचरितारिया व अचरिमसमयसुहुभसंपरायसरागचरितारिया य अहवा सुहुमसंपरायसरागचरितारिया दुविहा पन्नत्ता तं जहासंकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य से त्तं सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया से किं तं बादरसंपरावसरागचरितारिया - दुविहा प तं पढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य अपदमसमयबादरसंपरायस रागचरित्तारिया य अहवा धरिमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य अहदा बादरसंपरायसरागचरितारिया दुविहा पत्रत्ता तं जहापडिवाती य अपडिवाती य से त्तं बादरसंपरायसरागचरितारिया से तं सरागचरितारिया से किं तं वीयरागचरितारिया- दुविहा ५०-उवसंतकसायवीयरागचरितारिया व, खीणकसायवीतरागचरितारिया य से किं तं उवसंतकसायवीयरागचरितारिया - दुविहा पत्रत्ता तं जहापदमसमयउवसंतकसायवीयरागचरितारिया य अपढमसम-यउवसंतकसायवीयरागचरितारिया अहवा चरिमसमय वसंतकसायवीयरागचरित्तारिया य अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरागचरित्तारिया य से त्तं उवसंतकसायवीयरागचरितारिया से किं तं खीणकसायवीयरागचरितारिया - दुविहा प० छउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया य के लिखीणकसायवीतरागचरितारिया य से किं तं छउमत्यखीणकसायवीतरागचरित्तारिया दुविहा प० सयंबुद्धछउमत्यखीणकसायवीयरामचरितारिया य बुद्धबोहियछउमत्यखीणकसायवीयरागचरितारिया य से किं तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया दुविहा पत्रत्ता तं जहा- पढमसमयसयंबुद्धछ उमत्यखीणकसाय - वीतरागचरितारिया य अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया प अहवा चरिमसमय सयंबुद्धछ उमत्यखीणकसायवीयरागचरितारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउभत्थखीणकसायवीयरागचरित्तारिया य से त्तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसाय वीतरागचरितारिया, से किं तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया दुविहा प०-पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागचरितारिया व अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्यखीणकसायवीतरागचरित्तारिया य अहवा चरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीतरागधरित्तारिया प अचरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीय रागचरित्तारिया से तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरागचरितारिया से तं छउपत्थखीणकसायवीतरागचरित्तारिया से किं त्तं केवलिखीणकसायवीतरागचरितारिया दुविहा प० सजोगिंकेवलिखीणक सायवीयरागचरितारिया य For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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