SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 173
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५४ पन्नवणा - २३/२/-/५४० सरीरनामे सरीरंगोवंगनामे सरीरबंधणनामे सरीरसंघायनामे संघयणनामे संठाणनासे वण्णनामे गंधनामे रसनामे फासनामे अगुरलहुनामे उवधायनामे पराधायनामे आणुपुब्बीनामे उस्सासनामे आयवनामे उज्जोयनामे विहायगहतिनामे तसनामे थावरनामे सुहुमनामे बादरनामे पञ्जत्तगनामे अपज्जत्तगनामे साहारणसरीरनामे पत्तेयसरीरनामे थिरनामे अथिरनामे सुभनामे असुमनामे सुभगनामे दूमगनामे सूसरनामे दूसरनामे आदेजनामे अणादेशनामे जसोकित्तिनामे अनसोकित्तिनामे निम्माणनामे तित्यगरनामे गतिनामे णं मंते कम्मे गोयमा पउविहे पन्नत्ते तं जहा-निरपगतिनामे तिरियगतिनामे मणुयगतिनामे देवगतिनामे जाइनामेणं भंते कम्मे गोयमा पंचविहे पन्नतेतंजहा-एगिदियजाइनामे जाव पंचेंदियजाइनामे सरीरनामे णं मंते कम्मे गोयमा पंचविहे पन्नते तं जहा-ओरालियसरीरनामे जाव कम्मगसरीरनामे सरीरंगोवंगनामे णं मंते कम्मे गोयमा तिविहे पन्नत्ते तं जहा-ओरालियसरीरंगोवंगनामे वउव्यियसरीरंगोवंगनामे आहारगसरीरंगोवंगानामे सरीरबंधणणनामे णं मंते गोयमा पंचविहे पन्नते तं जहा-ओरालियसरीरबंधणनामेजाव कम्मगसरीरबंधणनामे सरीरसंघायनामे णं भंते गोयमा पंचविहे पन्नतेतंजहा-ओरालियसरीरसंघातनामे जाव कम्मगसरीरसंघायनामे संघयणनामे णं मंते गोयमा छबिहे पन्नत्ते तं जहा-वइरोसमनारायसंधयणनामे उसमनारायसंघयणनामे नारायसंघवणनामे अद्धनारायसंघयणनामे खीलियसंघयणनामे छेदट्टसंघयणनामे संठाणनामेणं मंते गोयमा छबिहे समचउरससंठाणनामे नग्गोहपरिमंडलसंठाणनामे सातिसंठाणनामे वामणसंठाणनामे खुजसंठाणनामे हुंडसेठाणनामे वपणनापेणं मंते कम्मे गोयमा पंचविहे कालवण्णनामे जाव सुक्किलवण्णनामे गंघनामे णं मंते कम्मे पुछा गोयमा दुविहे सुरपिगंधणामे दुरपिगंधणामे रसनापेणं पुच्छा गोयमा पंचविहे पन्नत्ते तं जहा-तित्तरसणामे जाव महुररसणामे फासनामे णं पुच्छा गोयमा अट्ठविहे पत्रत्ते तं जहा-कक्खडफासणामे जाव लुक्खफासणामे अगुरुलहुअनामे एगागारे पन्नत्ते उवधायनामे एगागारे पन्नत्ते पराचायनामे एगागारे पन्नत्ते आणुपुग्विनामे चउबिहे पत्रते ते जहा-नेरइयाणुपुरिणामे जाव देवाणुपुब्विणामे उस्सासनामे एगागारे पन्नत्ते सेसाणि सव्वाणि एगागाराई पन्नत्ताई जाव तित्यगरनामे नवरं-विहायगतिनामे दुविहे पसत्यविहायगतिणामे य अपसत्यविहायगतिणामे य, गोए णं मंते कम्मे कतिविहे पन्नत्ते गोयमा दुविहे उचागोएयनीयागोएय उच्चागोए णमंतेकम्मे गोयमा अट्टविहे पन्नत्ते तंजहा-जाइविसिठ्ठया जाव इस्सरियविसिडिया एवं नीयागोए विनवरं जातिविहीणयाजावइस्सरियविहीणयाअंतराइए गंभंते कम्मे गोयमापंचविहे पन्नत्तेतंजहा-दानंतराइएजाव वीरियंतराइए।२९४-293 (119) नाणावरणिज्जस्स णं मंते कास्स केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ तिणि य वाससहस्साईअबाहा अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मनिसेगो, निहापंचयस्स णं पुच्छा गोयमा जहण्णेणं सागसेवमस्स तिष्णि सतमागा पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणया उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ तिणि य वाससहस्साई अवाहा अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मनिसेगो दंसणचउक्कस्स णं पुछा गोयमा जहणणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तीसं सागरोदमकोडाकोडीओ तिण्णि य वाससहस्साई अबाहा अबाहूणिया कम्मठिती-कम्मनिसेगो सातावेयणिजस्स इरियावाहियबंधगं पडुछ अजहण्णमणुकोसेणं दो समया संपराइयवंधणं पडुच जहण्णेणं बारस मुहुत्ता उक्कोसेणं पन्नरस सागरोवम For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy