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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पम्-१२ १०५ अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेजतिभागो मुक्केवगा तहेव मणुस्साणं भंते केवतिया ओरालियसरीरा पन्नता गोयमा दुविहा० वद्धेल्लगाय मुक्कैल्लगा यतत्य णं जेते बद्धेल्लगा ते णं सिय संखेना सिय असंखेज्जा जहण्णपए संखेन-संखेनाओ कोडाकोडीओ तिजमलयपस्स उयरिं चउजमलपयस्स हेडा अहव णं छटो याणी पंचमवग्गपडुप्पण्णो अहय णं छण्णउईछेणगदाई रासी उक्कोसपदे असंखेज़ा असंखेजाहिं उस्सप्पिणी-ओस्सप्पिणीहि अवहीरंति कालओ, खेत्तओ स्वपक्खित्तेहिं मणुस्सेहिं सेढी अवहीरति तीसे सेढीए काल-खेत्तेहिं अवहारो मग्गिनाइ-असंखेनाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं कालओ, खेत्तओ अंगुलपढमवग्गमूलं ततियवागमूलपडुप्पणं तस्यं णं जेते मुक्कैल्लगा ते जहा ओरालिया ओहिया मुक्कैल्लगा, घेउब्बियाणं 'मते पुच्छा गोयमा दुविहा पत्रत्ता तं जहा-यद्धलगा य मुक्केलगा य तत्य णं जेते बोलगातेसंखेज्जासमए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा संखेजेणं कालेणं अवहीरति नो वेव णं अवहिया सिया तत्थ णंजेते मुक्कैल्लगा ते णं जहा ओरालिया ओहिया, आहारगसरीरा जहा ओहिया तेया कम्मया जहा एतेसिं चेव ओरालिया, याणमंतरणं जहा नेरइयाणं ओरालिया आहारगा य उब्बियसरीरगा जहा नेरइयाणं नवरं-ता णं सेढीणं विक्खंभसूई संखेनजोयणसयवग्गपलिभागो पयरस्स मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया तेया कगया जहा एएर्सि चेव वेउब्बिया, जोतिसिवाणं एवं चेव नवरं तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई देछप्पण्णंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स, वेमाणियाणं एवं चेव नवरं तासि णं सेढीणं विक्वंमसूई अंगुलबित्तियवग्गमूलं ततियवागमूलएडुप्पन्नं अहवणं अंगुलततियवागमूलघणपमाणमेत्ताओ सेढीओ सेसंतं चेव।१८०-180 बारसपं पयं सपत्तं. | तेरसमं परिणामपयं (४०५) कतिविहे णं भंते परिणामे पत्रत्ते गोचमा दुविहे परिणामे पनत्ते तं जहा-जीवपरिणाने यअजीवपरिणापेय।१८१1-181 (४०६) जीवपरिणामेणं भंते कतिविहे पत्रत्ते गोयमा दसविहे पन्नत्ते तं जहा-मतिपरिणामे इंदियपरिणापे कसावपरिणामे लेसापरिणामे जोगपरिणामे उवओगपरिणामे नाणपरिणामे दंसणपरिणामे चरित्तपरिणापे वेदपरिणामे ।१८२,182 (१०७) गतिपरिणामे णं भंते कतिविहे पनत्ते गोयपा चउबिहे० निरयगतिपरिणामे तिरियगतिपरिणामे मणुयगतिपरिणामे देवगतिपरिणामे, इंदिवपरिणामेणंपुच्छा गोयमा पंचविहे० सोइंदियपरिणामे चक्खिदियपरिणामे घाणिदियपरिमामे जिभिदियपरिणामे फासिंदियपरिणामे, कसायपरिणामे णं पुच्छा गोयमा चउबिहे प० कोहकसायपरिणाम मानकसायपरिणामे मायाकसायपरिणामे लोभकसायपरिणामे, लेस्सापरिणामे गं पुच्छा गोयमा छविहे प० कण्हलेस्सापरिणामे नीललेस्सापरिणामे काउलेस्सापरिणामे तेउलेस्सापरिणामे पम्हलेस्सापरिणामे सुकूकलेस्सापरिणामे जोगपरिणामे णं पुच्छा गोवमा तिविहे प० मणजोगपरिणामे वइजोगपरिणामे कायजोगपरिणामे, उरओगपरिणामे णं पुच्छा गोयमा दुविहे प० सागारोवओगपरिणामे य अणागारोवओगपरिणामे य, नाणपरिणामे णं पुच्छा गोयमा पंचविहे प० आभिणिबोहियनाणपरिणामे सुयनाणपरिणामे ओहिनाणपरिणामे मणपञ्जयनाणपरिणामे केवलनाणपरिणामे, अन्नाणपरिणापे णं मंते पुच्छा मतिअन्नाणपरिणामे सुयअन्नाणपरिणामे विमंगनाणपरिणामे, For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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