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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पय-10 ९५ अनंतपएसोगाढे गोयमा सिय संखेजपएसोगाढ़े सिय असंखेनपदेसोगाढे नो अनंतपदेसोगाढे एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते संठाणे अनंतपएसिए पुच्छा गोयमा सिय संखेनपएसोगाटे सिय असंखेजपएसोगाढे नोअनंतपएसोगाढे एवंजाव आयते, परिमंडलेणं मंते संठाणे अनंत पएसिए पुच्छा गोयमा सिय संखेज्ज पएसोगाढे सिय असंखेजपएसोगाढे नो अनंत पएसोगाढे एवं जाव आयते, परिमंडले णं भंते संखेनपदेसिए संखेजपएसोगाढे किं चरिमे पुच्छा गोयमा परिमंडले णं संठाणे संखेज्जपदेसिए संखेजपदेसोगाढे नो चरिमे नो अचरिमे नो चरिमाइं नो अचरिमाइं नो चरिसंतपदेसा नो अचरिमंतपएसा नियमा अचरिमं च चरिमाणि य चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसाय एवं जाव आयते, परिमंडले णं पंते संठाणे असंखेनपएसिए संखेजपदेसोगाढे किंचरिमे पुच्छा गोयमा असंखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे जहा संखेजपएसिए एवंजाव आयते, परिमंडले णं मंते संठाणे असंखेनपदेसिए असंखेजपएसोगाढे किं चरिमे पुछा गोयमा असंखेजपदेसिए असंखेजपदेसोगाढे नो चरिमे महा संखेज्जपदेसोगाढे एवं जाव आयते, परिमंडले णं मंते संठाणे अनंतपएसिए संखेजपएसोगाढे किं चरिमे पुच्छा गोयमा तहेब जाव आयते अनंतपदेसिए असंखेनपदेसोगाढे जहा संखेजपदेसोगाढे एवं जाव आयते, परिमंडलस्स णं मंते संठाणस्स संखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसौगाढस्स अचरिमस्स य घरिमाण य चरिमंतपदेसाण य अचरिमंतपदेसाण य दवट्ठयाए पदेसट्टयाए दव्यगु-पदेसठ्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योचे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेञ्जपदेसियस्स संखेजपदेसोगाढस्स दव्बठ्ठपाए एगे अचरिम, चरिपाइं संखेज्जगुणाई अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, पदेसट्टयाए सवयोवा परिमंडलस्स संठाणस्स संखेअपदेसियस्स संखेजपदेसोगाढस्स चरिमंतपदेसा अचरिमंतपदेप्ता संखेनगुणा चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसायदोवि विसेसाहिया दव्य?पदेसट्टयाए सव्वत्योवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेनपदेसियस्स संखेनपदेसोगाढस्स दबयाए एगे अचरिमे चरिमाइं संखेज्जगुणाई अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई चरिमंतपदेसा असंखेज्जगुणा अचरिमंतपएसा संखेनगुणा चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया एवं व-तंस-चउरंस-आयएसुविजोएयव्यं परिमंडलस्स णं पंते संठाणस्स असंखेज्जपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाय चरिमंतपएसाण यअचरिमंतपएसाण यदव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दबट्ट-पएसट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा या जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्यस्थोये परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दवट्ठयाए एगे अचरिमे, चरिमाइंसंखेज्जगुणाईअचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, पदेसट्टयाए सव्यत्योवा परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेज्जपएसोगाढस्स चरिमंतपएसा, अचरिमंतपएसा संखेनगुणा चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो यि विसेसाहिया, दव्य-पएसट्ठयाए सब्बत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेनपएसोगाढस्स दवट्ठयाए एगे अचरिमे, चरिमाइंसंखेनगुणाई अचरिमं च चरिमाणिय दो वि विसेसाहियाई, चरिमंतपएसासंखेजगुणा अचरिमंतपएसा संखेजगुणा चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया एवं जाव आयते परिमंडलस्स णं पंते संठाणस्स असंखेजपदेसियस्स असंखेज्जपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दबट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठ-पएसट्टयए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा० गोयमा जहा For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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