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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पन्नवणा - 901-1-1319 घेवएवं अलोगे वि!१५४/-154 (३६२) इमीसे णं भंते रयणप्पमाए पुढवीए अचरिपस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसद्वाए दव्वट्ठ-पएसट्टयाए कतरे कतरेहिती अप्पा वा बहुया या तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्यस्थोवे इमीसे रयणप्पमाए पुढवीए दबट्टयाए एगे अचरिमे चरिमाइं असंखेजगुणाई अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई, पदेसट्टयाए सव्वत्योवा इसीसे रयणप्पमाए पुढवीए परिमंतपदेसा अचरिमंतएएसाअसंखेज्जगुणा चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसा य दो वि विसेसाहिया, दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए सव्यत्योवा इमीसे रयणप्पमाए पुढवीए दव्बठ्ठयाए एगेअचरिमे, चरिमाइंअसंखेज्जगुणनाई अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई चरिमंतपएसा असंखेजगुणा अचरिमंतपएसा असंखेनगुणा चरिमंतपएसा य अचरिमंतपएसाय दोवि विसेसाहिया, एवं जाव अहेसत्तपा सोहम्मस्स जाव लोगस्स य एवं चेव।१५५/158 (५६३) अलोगस्सणं भंते अचरिपस्स य चरिमाण य चरिमंतपएसाण य अचरिमंतपएसाण यदव्बट्ठयाए पदेसट्टयाए दवट्ठ-पदेसठ्ठवाए कतरे कतरेहिंतोअप्पा वाजाव विसेसाहियावागोयमा सव्वत्योवे अलोगस्स दवढ्याए एगेअचरिमे, चरिमाइं असंखेनगुणाई अचरिमं च चरिमाणिय दो वि बिसेसाहियाई, पदेसद्वयाए सव्वत्थोवा अलोगस्स चरिमंतपदेसा, अचरिमंतपदेसा अनंतगुणा चरिमंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया दब्बठ्ठ-पदेसट्टयाए सव्वत्योवे अलोगल्स दव्वट्ठयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं असंखेनगुणाई अचरिमं च चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई चरिमंतपदेसाअसंखेनगुणाअचरिमंतपदेसाअनंतगुणा चरिमंतपदेसा प अचरिमंतपएसाय दोवि विसेसाहिया, लोगालोगस्सणंभंते अचरिमस्स य चरिमाणय चरिमंतपएसाण यअचरिमंतपएसाण यदव्वट्ठयाए पदेसट्टयाए दव्वठ्ठ-पएसट्टयाए कतरे कतरेहिंतोअप्पा वाजाव विसेसाहिया वा गोपमा सम्वत्योवे लोगालोगस्स दवद्वयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाइंअसंखेज्जगणाई अलोगस्स चरिमाइं विसेसाहियाइं लोगस्सय अलोगस्स य अचरिमंच चरिमाणि य दो वि विसेसाहियाई पदेसहपाए सब्बयोवा लोगस्स चरिमंतपदेसा अलोगस्स चरिमंतपदेसा विसेसाहिया लोगस्स अचरिमंतपदेसा असंखेनगुणा अलोगस्स अचरिमंतपदेसा अनंतगुणा, लोगस्स प अलोगस्स य चरिपंतपदेसा य अचरिमंतपदेसा य दो वि विसेसाहिया, दव्बठ्ठ-पदेसट्याए सव्यत्योवे लोगालोगस्स दब्बट्ठयाए एगमेगे अचरिमे, लोगस्स चरिमाइं असंखेजगुणाई,अलोगास चरिमाई विसेसाहियाई, लोगस्सय अलोगस्स य अचरिमंच चरिमाणि यदो वि विसेसाहियाई लोगस्स चरिमंतपएसा असंखेजगुणा अलोगास चरिमंतपएसाविसेसाहिया लोगस्स अचरिमंतपएसाय असंखेज्जगुणा, अलोगस्स अचरिमं तपएसा अनंतगुणा लोगस्स य अलोगस्सय चरिमंत पएसाय अचरिमंतपसा य दो वि विसेसाहिया सव्वदव्वा विसेसाहियासव्यपएसा अनंतगुणा सब्दपज्जवा अनंतगुणा।१५६।-158 (३६४) परमाणुपोग्गले णं भंते किं चरिमे अचरिमे अवत्तव्वए चरिमाई अचरिमाई अवत्तव्ययाइंउदाहु चरिमेय अचरिमेय, उदाहुचरिमे य अचरिमाइंच उदाहु चरिपाइंचअचरिमेय उदाहु चरिमाइं च अचरिमाइं च पढमा चउभंगी, उदाहु चरिमे य अवत्तव्यए य उदाहु चरिमे य अवत्तव्वयाइंच उदाहु चरिपाइंच अवत्तव्यए य उदाहु चरिमाइंच अवत्तव्ययाइंच बीया चउभंगी, उदाहुअचरिमेय अवत्तव्यए य उदाहु अचरिमेय अवत्तव्बयाइंच उदाहअचरिमाइंचअवत्तव्बएय उदाहु अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च तइया चउमंगी, उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्यए य For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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