SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ जीवाजीवाभिगम २/-/६८ दियतिरिक्खजोणियनपुंसगाणं जाव वणस्सतिकाइयएगिदियतिरिक्नजोणिवनपुंसगाणं वेइंदियतेइंदिचचउरिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगाणं- जलयराणं ययलयराणं खयराणं य कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्धोचा खहयरतिरिक्खजोणियनपुंसया थलथरतिरिक्खजोणियनपुंसगा संखेज्जगुणा जलचरतिरिक्खजोणियनपुंसगा संखेज्जगुणा चउरिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा विसेसाहिया तेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा विसेसाहिया बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा विसेसाहिया तेउक्काइयएगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा असंखेगुणा पुढविक्काइयएगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा विसेसाहिया आऊ विसेसाहिया वाउ विसेसाहिया वणस्सतिकाइएगि- दियतिरिक्खजोणियनपुंसगा अनंतगुणा - एतेसि णं भंते मणुस्सनपुंसगाणं- कम्मभूमिनपुंसगाणं अकम्पभूपिनपुंसगाणं अंतरदीबग्गनपुंसगाणं च कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया या गोयमा सव्वत्योवा अंतरदीवण अकम्पभूमगणुस्सनपुंसगा देवकुरुउत्तरकुरु अकम्मभूमगा दोवि संखेज्जगुणा एवं जाय पुव्वविदेह अवरविदेहकम्मभूमगा दोषि संखेजगुणा एतेसि णं भंते नेरइयनपुंसगाणं-रवणप्पभापुढविनेरइयनपुंसगाणं जाव अधेसत्तमापुढविनेरइयनपुंसगाणं तिरिक्खजोणियनपुंसगाणं- एगिदियतिरिक्खजोणियाणं पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगाणं जाव वणस्पतिकाइव वेइंदियतेइंदियचउरिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगाणं पंचिदियतिरिक्खजोणियनपुसंगाणं-जलयराणं धलयराणं खहयराणं माणुसन पुंसगाणं-कम्मभूमिगाणं अकम्मभूमिगाणं अंतरदीवगाणं य कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा गोवमा सव्वत्थोवा अधेसत्तमपुढविनेरइयनपुंसगा छुट्टपुढविनेरइयनपुंसगा असंखेजगुणा जाव दोस्रपुढविनेरयनपुंसगा असंखेजगुणा अंतरदीवगमणुस्सनपुंसगा असंखेज्जगुणा देवकुरुउत्तरकुरु अकम्मभूमिंगमणुस्सनपुंसगा दोवि संखेज्जगुणा जाब पुव्विविदेह अवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सनपुंसगा दोवि संखेज्जगुणा रवणप्पभापुढविनेरइयनपुंसगा असंखेज्जगुणा खहवरावि असं गुणा थलरा संखेचगुणा जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिधनपुंसगा संखेज्जगुणा चउरिंदिवतिरिक्खजोणियनपुंसगाविसेसाहिया तेइंदियावि विसेसाहिया बेइंदियावि विसेसाहिया तेउकूकाइएगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा असंखेज्जगुणा पुढविकाइयएगिंदियतिरिक्खजोमियनपुंसगा विसेसाहिया आउक्काइय विसेसाहिया वाउक्काइच विसेसाहिया बणस्सइकाइएगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसया अनंतगुणा । ६१/- 60 (६९) नपुंगवेदस्स णं भंते कम्मस्स केवतियं कालं बंधठिती पन्नत्ता गोचमा जहणणेणं सागरोवमस्स दोण्णि सत्तभागा परि ओवमस्स असंखेज्जतिभागेणं ऊणगा उक्कोसेणं वीसं सागरीबमकोडाकोडीओ दोणि य वाससहस्साई अबाधा अवाहूणिया कम्मठिती कम्मनिसंगो, नपुंसगवेदे णं मंते किंपगारे पन्नत्ते गोयमा महानगरदाहसमाणे पन्नत्ते समणाउसो से तं नपुंसगा | ६२ 61 (७०) एतासि णं भते इत्यीणं पुरिसाणं नपुंसगाण व कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्थोवा पुरिसा, इत्थी ओ संखेज्जगुणाओ नपुंसगा अनंतगुणा एतासि णं भंते तिरिक्खजोणिइत्थीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं तिरिक्खजोणियनपुंसगाणं य कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा गोयमा सधोबा तिरिक्खजोणियपुरिसा तिरिक्खजोणिवइत्थी ओ संखेजगुणा ओतिरिक्खजोणिवनपुंसगा अनंतगुणा एतासि णं भंते मणुस्सित्थीणं मणुस्सपुरिसाणं मणुरसनपुंसगाणं च कतरे कतरेहिंतो जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योबा मणुस्तपुरिसा मणुस्सि For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy