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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवत्ति-४ १३१ भंते कालओ केवचिरं होति गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखिज्जाई वाससहस्साइं एवं बेइदिएवि नवरं संखेजाई वासाइं तेइंदिए णं मंते संखेजा राइंदिया चउरिदिए णं संखेज्जा मासा पंचिदिए सागरोवमसयपुहत्तं सातिरेगं, एविंदियस्स णं भंते केवतियं कालं अंतरं होति गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासमन्महियाई बेइंदियरस णं केबतियं कालं अंतर होति गोयमा जहणेणं अंतोमुहुतं उक्कोसेणं वणस्सइकालो एवं तेइंदियस्स चाउरिदियस्स पंचेंदियरस अपजत्तगाणं एवं चैव पज्जत्तगाणवि एवं चैव । २२५1-224 (३४५) एएसि णं मंते एगिंदियाणं बेइंदियाणं तेइदियाणं चउरिदियाणं पंचिदियाणं य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योवा पंचेदिया, वउरिदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, बेइंदियाविसेसाहिया, एगिंदिया अनंतगुणा, एवं अपचत्तगाणंसव्यत्थोवा पंचेदिया अपजत्तगा, चउरिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया, तेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया, बेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया, एगिंदिया अपत्तगा अनंतगुणा, सव्वत्थोवा चतुरिंदिया पत्ता, पंचेंदियापत्तगा विसेसाहिया, बेइंदियापज्जत्तगा विसेसाहिया, तेइंदियापचत्तगा विसेसाहिया, एगिंदिया पञ्चत्तगा अनंतगुणा, एतेसि णं भंते एगिंदियाणं पचत्तआपजत्तगामं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाय विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्थोवा एगिंदिया अपत्ता, एगिंदिया पत्तगा संखेज्जगुणा, एतेसि णं मंते वेइंदियाणं पज्जत्ताअपजत्तगाणं अप्पाबहुं गोवमा सव्वत्योवा बेइंदिया पज्जत्तगा अपजत्तगा असंखेनगुणा एवं तेइंदिय- चउरिदिय पंचिंदिय वि, एतेसि णं भंते एगिंदियाणं जाव पंचिंदिवाणं व पचत्तगाण य अपजत्तगाण य कवरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्थोवा चउरिंदिया पञ्चत्तगा, पंचिंदियापचत्तगा विसेसाहिया, बेईदिया-पजत्तगा विसेसाहिया, तेइंदियापजत्तगा विसेसाहिया, पंचिंदिया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा, चउरिदिया अपजता विसेसाहिया, तेइंदिया अपजत्ता विसेसाहिया, वेइंदिया अपजत्ता विसंसाहिया, एगिदिया अपत्ता अनंतगुणा, एगिंदिया पत्ता संखेज्जगुणा सेत्तं पंचविधा संसारसमावण्णगा जीवा ॥२२६॥ - 225 • चउत्थी पडिवत्ती समता • पंचमीपडिवत्ती - [ छविहपडिवत्ती] (३४६) तत्थ णं जेते एवमाहंसु छब्बिहा संसारसमावण्णगा जीवा ते एवमाहंसु तं जहापुढविकाइया आउक्काइया तेउक्काड़या वाउकाइया वणस्सतिकाइया तसकाइया, से किं तं पुढ विकाकइया पुढविकाइया दुविहा पत्रत्ता तं जहा सुहुमपुढविकाइया बादरपुढविकाइया य, सुहुमपुढविकाइया दुविहा- पत्तगा य अपत्तगा य एवं बादरपुढविकाइयावि एवं जाय चणस्स - तिकाइया से किं तं तसकाइया तसकाइया दुविहा तं जहा-पजत्तगा य अपजत्तगाय । २२७1-226 (३४७) पुढविकाइयस्स णं मंते केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उकाइयस्स तिणि राईदियाई वाउकाइयस्स तिण्णि घाससहस्साइं वणस्सतिकाइयस्स दस बाससहस्साइं तसकाइयस्स तेत्तीसं सागरोवमाई अपजत्तगाणं सव्वेसिं जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं पचत्तगाणं सव्वेसिं उक्कोसिया किती अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा ॥२२८|- 227 (३४८) पुढविकाइए णं भंते पुढविकायत्ति कालतो केयच्चिरं होइ गोयमा जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उकुकोसेणं असंखेचं कालं - [ असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि ओसप्पिणीओ कालओ खेत्तओ] For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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