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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२४ जीवाजीवाभिगप • ३/नो./३२३ वा तल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा चंदिमसूरिया एते णं दोष्णिवि तुला सव्वत्थोवा नक्खत्ता संखेनगुणा गहा संखेनगुणा ताराओ [संखेजगुणाओ]।२०७-206 तयाए पडिवत्तिए जोइस उद्देसओ समतो. - वे मा णि प उ स ओ-प र मो :(३२४) कहि णं भंते वेमाणियाणं देवाणं विमाणा पन्नत्ता कहि णं भंते देमाणिया देवा परिवसंति गोयमा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिमागाओ उड्दं चंदिससूरियगहनक्खत्ततारारूवाणं बहूई जोयणाई बहूई जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहूई जोपणकोडीओ बहूइं जोयणकोडाकोडीओ उड्ढे दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाणंजाच अनुत्तरेसुय एस्थ णं वेमाणियाणं चतुरासीतिं विमाणा-वाससतसहस्सा सत्तानउतिचसहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीति मक्खाया ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा एत्थणं वहवे वेमाणिया देवा परिवसंति सोधीसाणजाव अनुत्तरा य देवा मिग-महिस-वराह-सिंह-छगलद१र-जायआयरक्खदेव-साहस्सीणं विहरति, कहिणं भंते सोधम्मगाणं देवाणं विमाणा कहिणं मंते सोधम्मगा देवा परिवसंति, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए जाच एस्थ णं सोधम्मे नामं कप्पे, पाईणपडिणायते उदीणदाहिणवित्थिपणे जाव एत्य णं सोधम्माणं देवाणं बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पनत्ता ते णं विमाणा सव्य-रयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तेसि णं विपाणाणं बहुमज्झदेसमाए पंच वडेंसगा पनत्ता तत्य णं बहवे सोधम्मगा देवा परिवसंति जाव विहरंति सके यत्थ देविंदे देवराया मघवं पागसासणे जावविहरंति।२०८|-207 (३२५) सक्कस्स गं मंते देविंदस्स देवरपणो कति परिसाओ पन्नत्ताओ गोयमा तओ परिसाओ पन्नत्ताओ तं जहा-समिता चंडा जाता अमितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता सक्कस्स णं भंते देविंदस्स देवरणो अभितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ मझिमियाए परिसाए तहेव बाहिरियाए पुच्छा गोयमा सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अभितरिया परिसाए बारस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताएओ मज्झिमियाए परिसाए चोद्दस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओं बाहिरियाए परिसाए सोलस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ तहा अअिंतरियाए परिप्ता सत्त देवीसयाणि मन्झिमियाए छत्त देवीसयाणि बाहिरियाए पंच देवीसयाणि पन्नत्ताई सककस्सणं भंते देविंदस्स देवरपणो अटिभतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पनत्ता एवं पज्झिमियाए बाहिरियाएवि गोयमा सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अभितरिया परिसाए पंच पलिओवमाई ठिती पत्नत्ता मन्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओवपाई ठिती पन्नत्ता वाहिरियाए परिसाए देवाणं तिण्णि पलिओवमाई ठिती पनत्ता देवीणं ठिती-अभितरियाए परिसाए देवीणं तिणि पलिओवपाइंठिती पन्नत्ता मञ्जिपियाए दुण्णि पलिओवमाई ठिती पन्नत्ता बाहिरियाएपरिसाए एगं पलिओवमाइंटिती पन्नत्ता अट्ठो सोचेव जहा मवणवासीणं कहिणं मंते ईसाणगाणं देवाणं विमाणा पन्नत्तातहेव सबंजाब ईसाणे एत्य देविंदे देवरायाजाव विहरति ईसाणस्स णं भंते देविंदस्स देवरण्णो कति परिसाओ पत्रत्ताओ गोयमा तओ परिसाओ पत्रत्ताओ तंजहा-समिता चंडा जाता तहेव सव्वं नदरं-अटियतरियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ मज्झिमियाए परिसाए वारस देवसाहस्सीओ याहिरियाए चोद्दस देवसाहस्सीओ देवीणं पुच्छा अभितरियाए नव देवीसता पनत्ता मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवीसता पन्नत्ता वाहिरियाए For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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