SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०५ पडियत्ति-३, दीव० (२३१) बायालीसं चंदा बाचालीसं च दिणयरा दित्ता कालोदधिम्मिएते चरंति सबंद्धलेसागा । ॥३७11-1 (२३२) नक्खत्ताणं सहस्सं एग छावत्तरं च सतमण्णं छच्च सता छण्णउया महागहा तिणि य सहस्सा ॥३८||-2 (२३३) अट्टावीसं कालोदहिम्मि वारस य सयसहस्साई नव यसपा पत्रासा तारागणकोडिकोडीणं ||३९||-3 (२३४) --- सोभं सोभिंसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा ।१७६/176 (२३५) कालोयं णं समुदं पुक्खरवरे नामं दीवे वट्टे बलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिखित्तागं चिट्ठति पुखरवरे णं दीवे किं समचक्कवालसंठिते विसपचक्कयालसंटिते गोवमा समचकूकवालसंठिते नो विसमचकवालसंठिते पुखरवरेणं भंते दीवे केवतियं चक्कयालविक्खंभेणं केवतिय परिक्खेवेणं पन्नते गोयमा सोलस जोयणसतसहस्साइंचकूकवालविक्खंभेणं [एगा जोयणकोडीबाउणति च सयसहस्साई अउणानउतिं च सहस्सा अट्ट य सया चउनज्या परिक्खेवेणं पत्रत्ते] १७७.१1-176-1 (२३६) एगाजोयणकोडी वाणउंति खलु भवे सयसहस्सा अट्ठ सया घाउणउया परीरओ पुक्खरवरस्स। ॥४०॥-1 (२३७) सेणंएगाए पटमवरवेदियाए एगेणंयवनसंडेणंसवओसमंता संपरिस्खित्ते दोण्हवि दण्णओ, पुक्खरवरस्सणं भंते दीवस्स कति दारा पत्रता गोयमा चत्तारिदारा पत्रत्तातं जहा-विजए वैजचंते जयंते अपराजिते कहि णं भंते पुस्खरवरस्स दीवस्स विजए नामं दारे पन्नत्ते गोयमा पुक्खरवरदीवपुरथिमपेरंते पुक्खरोदसमुद्दपुरस्थिमद्धस्स पचस्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरवर- दीवस्स विजए नामंदारे पन्नत्तेतं वेवसव्यंएवं चत्तारिविदारापुरखरवररसणंभते दीवस्स दारस्सयदारस्सय एसणं केवतियं अवाधाए अंतरे पन्नते गोयमा अडतालीसंजोयणसयसहस्साईवावीसंचसहस्साई चत्तारियअकुणत्तरेजोयणसतेदारस्सयदारस्सयअबाहाए अंतरेपनत्ते।१७७-२|-176-2 (२३८) अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई अगुणत्तरा प चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स ॥४११-2 (२३९) - ----पदेसा दोण्हवि पुट्ठा जीवा दोसुवि भाणिवव्वा, से केणद्वेणं भंते एव वुच्चतिपुखरवरदीवे-पुक्खावादीवे गोयमा पुक्खरवरे णं दीवे तत्थ-तस्थ देसे तहिं-तहिं पदेसे वहवे पउम-रुक्खा पउपवणा पउमसंडा निच्चं कुसुमिया जाव वडेंसगधरा पउम-महापउमरुक्खेसु एत्य पंपळम-पुंडरीवा नामं दो देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति से तेणटेणं गोयमा एवं वुचति-पुक्खरवरदीवेजाव निचे, पुक्सरवरेणं भंते दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा एवं पुच्छा ।१७७-३1-176-3 (२४०) चोयालं चंदसयं चउयालं चेव सूरियाण सयं पुक्खरवादीमि चरति ते पभासेंता ॥४२॥1-1 (२४१) चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव होति नक्खत्ता छत्तसया बावत्तर महगया बारस सहस्सा ||४३||-2 (२४२) छण्णउइ सयसहस्सा चत्तालीसं भवे सहस्साई चत्तारि सया पुनरवरे उ तारागणकोडकोडीणं 1॥४४॥-3 For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy