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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रायपसेणियं - ५१ पञ्चप्पिणइ सावत्थीओ नगरीओ चेइयाओ पडिनिक्खमणइ पंचहिं अणगारसहि [सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुच्चि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे सुहंमुहेणं] विहरमाणे जेणेव केवइ-अद्धे जणवए जेणेव सेयविया नगरी जेणेव मियबणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ अहापडिरूवंओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति तए ण सेयवियाए नगरीए सिंघडग तिय-चउक्कचच्चर-चउप्मुह-महापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणउपी इवा जणसणिवाए इवा जाव] परिसा निगच्छइ तएणं ते उजाणपालगा इमीसे कहाए लद्धट्टा समागा हट्टतुट्ट-जाव हियया जेणेव केसी कुमार-समणे तेणेय उवागच्छंति केसि कुमार. समण वंदति नमसंति अहापडिवं ओग्गहं अनुजाणंति पाडिहारिएणं पीट-फलग-सेना संधारएणं उवनिमंतंति नाम गोयं पुच्छंति ओधारेंति एगंतं अबक्कमति अवकमित्ता अन्नमन्नं एवं वयासीजस्स णं देवाणुप्पिया चित्ते सारही दंसणंकंखइ दंसणंपत्थेद दंसणंपीहेइ दंसणंअभिलसइ जस्स णं नामगोवस्स वि सवणयाए हट्टतुट्ट जाव हियए भवति से णं एस केसी कुमार-समणे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सेघवियाए नगरीए वहिया मिक्वणे उजाणे अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं मावेमाणे बिहाइ तं गच्छामोणं देवाणप्पिया चित्तस्स सारहिस्स एयमद्वंपियंनिवेएमोपियं से भवर अन्नमन्नस्स अंतिए एपमटुंपडिसुणेति जेणेव सेवविया नगरी जेणेव चित्तस्त सारहिस्स गिहे जेणेव चित्ते सारही तेणेक उवागच्छंति चित्तं सारहिं करयल जाब वद्धावेत्ता एवं पयासी-जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कंखंति दिसणं पत्थति देसणं पीहेंति दसणं| अभिलसति जस्स णं नामगोयस्स वि सवणवाए हट्ठ तुट्ठचित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-चिसप्पमाणहियया भवह से णं अयं पासावधि केसी नाम कुमार-समणेपुव्वाणुपुचि चरमणे जाब विहरइ । तए णं से चित्ते सारही तेर्सि उजाणपालगाणं अंतिए एवमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठ-जाव हिवए विगसिरवरकमलनयणे पयलिय बरकड़ग-तुड़िय-केऊर-पउड-कुंडल-हार-विरावंतरइयवच्छे पालंव-पलंबपाण-घोलंत-भूमणधरे ससंभमं तुरियं धवलं सारही आसणाओ अमुढे पायपीढाओ पञ्चोरुहइ पाउयाओ ओमुयइ एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ अंजलि पलियागहत्थे केसिकुमार-सपणाभिमुहे सत्तट्ठ पवाइं अनुगच्छद करयलपरिग्गहिवं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं वयासी-नमोत्यु णं अरहंताणं जाव सिद्धिगइनाधेयं ठाणं संपत्ताणं नमोत्थु णं कसिस्स कुमार-समणस्य मम धम्मयरियस धम्मोवदेसगस्स वदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासइ मे भगवं तस्थगए इहग ति कट्ट बंदइ नमसइ ते उजाणपालए विउलेणं वत्थगंधमतालंकारेणं सक्कारेइ सप्पाणेइ विडलं जीविवारिहं पीइदाणं दलबइ दलइत्ता पडिविसज्जेइ कोइंवियरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया चाउघंटे आसरहं जुत्तामेव उवहवेह [उवट्ठवेत्ता एयमाणत्ति पन्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव पडिसुणित्ता] खिप्पामेव सच्चत्तं सन्झयं जाव उवदुवेत्ता तमाणतिवं पञ्चप्पिणति तए णं से चित्ते सारही कोइंबियपुरिसाणं अंतिए एचमढे सोचा निसम्म हट्टतुट्ट-[चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाण]-हियए बहाए कयबलिकसे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्यावसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे| जेणेव चाउगंधंटे जाव सकोरेंटमल्लदामेणं [छत्तेणं धरिजमाणेणं] महया भडचडगर For Private And Personal Use Only
SR No.009739
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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