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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तपसेणियं ५४ - अप्पेगइया वंदणवत्तिया अप्येगइया पूयणवत्तियं अप्पेगइया सक्कारवत्तियं अप्पेगइया सम्पाणवत्तियं अप्पेगइया दंसणवत्तियं अप्पेगइया कोऊहलवत्तियं अप्पेगइया अस्सुबाई सुणेस्सामो सुयाई निस्संकियाई करिस्सामी अप्पेगइया मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्चइस्लामी अप्पेगइया गिरिधम्मं पडिविलिस्सामी अप्पेगइया जीवमेयंति कटु व्हाया कववलिकम्मा कयकोजय-मंगल- पायच्छित्ता सिरसा कंठेमालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहारद्धहार - तिसर-पा लंब- पलंबमाण-किसुत्त-सुकयसोहाभरणा पवरवत्य परिहिया चंदणोलित्तगायसरीरा अप्येगइया हयगया अप्पेगइया गयगया अप्पेगइया रहगया अप्पेगइवा सिवियागया अप्पेगइया संदमाणिबागया अप्पेगइया पायविहारचारेणं पुरिसवप्राप- रिक्खित्ता महया उक्खिट्ठ-सीहनाय - बोलकलकलरवेणं पक्खुभियमहासमुद्दरवभूयं पिव करेमाणा सावत्थीए नयरीए मज्झंमज्झेगं निगच्छंति निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्टए चेएइ जेणेव केसी कुमार-समणे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता के सिकुमार-समणस्स अदूरसामंते जाणवाहणाई ठवेति वेत्ता जाणवाहणेहिंतो पञ्चोरुहंति पच्चीरुहिता जेणेव केसी कुमार-समणे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छिता केसि कुमार-समणं तिक्खुतो आयाहिण-पवाहिणं करेंति करेत्ता बंदंति नमसंति वंदित्ता नर्मसित्ता नासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पजुवासंति तणं तस्स सारहहिस्स तं महाजणसद्दं च जणकलकलं च सुणेत्ता व प्रासेत्ता य इमेचावे अन्झथिए जव समुपजिया- किं णं अज्ज सावत्धीए नयरीए इंदमहे इ वा खंदमहे इ वा रुद्दम हे इवा मउंदमइ वा सिवम इ वा वेसमणमहे इ वा नागमहे इ वा जक्खमहे इ वा भूयमहे इ वा धूपमहे इ वा चेइयमहे इ वा रुक्खमहे इ वा गिरिमहे इ वा दरिमहे इ वा अगड़महे इ वा नईमहे इ वा सरमहे इ वा सागरम इ वा जं ञं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा राइण्णा इक्खागा नाया कोरव्या [ खत्तिया महागा भड़ा जोहा पत्यारो मल्लई मल्लइपुत्ता लेच्छई लेच्छइपुत्ता ] इम इभ पुत्ता अण्णे च बहवे राईसर- तलवर- पाडंबिय कोडुंबिय इब्भ-सेट्टि सेणावइ-सत्थवाहम्पभितयो ण्हाया कयवलिकम्मा कयकोउयं-मंगल-पायच्छित्ता सिरसा कंठेपालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहार-अद्धहारतिसर-पालंब- पलंबमाण-कडित्तय-कयसोहाहरणा चंदणोलित्तगाय सरीरा पुरिसवग्गुरापिखित्ता महया उक्खि-सीहनाय - बोल- कलकलरवेणं [समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा अंवरतलं पिव फोड़ेमाणा] एगदिसाए एगाभिमुहा अप्पेगतिया हयगया अप्पेगतिया गयगया जाव पायविहारचारेणं महया-महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कंचुइ- पुरिसं सद्दावेई सद्दावेत्ता एवं बयासी- किं णं देवाणुप्पिया अज्ज सावत्थीए नगरीए इंदमहेइ वा जाब सागरमहेइ वा जं णं इमे बहवे उगपुत्ता भोगा जाव निग्गच्छेति For Private And Personal Use Only तए णं से कंचुइ- पुरिसेकेसिस्स कुमारसमणस्स आगमण गहिय-विणिच्छए चित्तं सारहिं करयल परिगहियं जाव वद्भावेत्ता एवं वयासी - नो खलु देवाणुप्पिया अज सावत्थीए नगरीए इंदमहे इ बा जाव सागरमहे इ या जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता जाव वंदावंदएहिं निम्गच्छंति एवं खलु भो देवापिया पासावचिजे केसी नाम कुमार-समणे जातिसंपत्रे जाव गामाणुगामं दूइजमाणे इहमागए [इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव सावत्र्त्यीए नगरीए दहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे ] विहाइ तेणं अज्ज सावत्धीए नयरीए वहवे उगा जाव इभा इब्भपुत्ता अप्पेगतिया [वंदणवत्तियाए जाष अप्पेगइया अस्सुयाई सुणेस्सामो सुयाई
SR No.009739
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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