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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रायपसेणियं - ४४ निहट्टु तिखुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ निवाडिता ईसि पच्चुण्णमइ पच्चण्णमित्ता करयलपरिगहिवं सिरसावत्तं मत्यए अंजलिं कटु एवं वयासी-नमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं आदिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाम पुरिस-सीहाणं पुरिसवर- पुंडरीवाणं पुरिसवरगंधहीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहिआणं लोगपईवाणं लोगपजोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं वोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसवाणंधम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्पवरचाउरंतचक्कवट्टीणं अप्पडिहयवरनाणदंसण-धराणं विअच्छउमाणं जिनाणं जावयाणं तिनाणं तारयाणं वुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोचगाणं सबन्नूणं सव्वदरिसीणं सिवं अयलं अरुअं अनंत अक्खयं अव्वादाहं अपुणरावित्तिसिद्धिगइ-नामधेयं ठाणं संपत्ताणं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ताजेणेव सिद्धायतणस्स बहुमझदेसभाए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दिव्वाए दगधारए अब्भुक्खेइ अधुंक्वेत्ता सरसेणं गोसीसंचदेणणं पंचंगुलितलं दलयइ दलइत्ता कवग्गहगहियं जाव पुंजोवयारकलियं करेइ करेत्ताधूवे दलयइ दलयित्ता जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिले दारे तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता लोमहत्वगं परामुसइ परामुसित्ता दारचेडाओ य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएणं मजइ पमजित्ता दिव्वाए दगधारए अदभुक्खेइं अटमुक्खेत्ता सररेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ दलइत्ता पुष्फारुहणंजाव आभरणारुहणं करेइ करेत्ता आसत्तोसत्तं जाव धूवं दलबइ दलचित्ता- जेणेय दाहिणिल्ने दारे मुहमंडवे जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवास बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता लोमहत्वगं परामुसई परामुसित्ता बहुपञ्झादेसभागं लोमहत्येणं पमञ्जइ पपञ्जित्ता दिव्याए दग्धाराए अदमुक्खेइ अब्भुक्खेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचगुलितलं मंडलगं आलिहइ आलिहिता कयागहगहिय जाव धूवं दलयइ दलपिता-जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स पञ्चस्थिपिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता लोमहत्थगं परामुसइ परामुसित्ता दारचेडाओ य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्येणं पमन्नइ पमज्जित्ता दिव्याए दगधाराए अब्भुक्खेइ अमुक्खेत्ता सरसेणं गोसीसंचदणेणं चच्चए दलयइ दलयित्ता पुप्फारुहणं जाव आभरणारुहणं करेइ कोत्ता आसत्तोसतं जाव धूवं दतयइ दलयित्ता-जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स उत्तरिल्ला खंभपती तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता लोमहत्यं परामुसइ परामुसित्ता खंभेय सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएण पमजइ पमनित्ता जहा चेव पच्चधिमिल्लस्स दारस्स जाव धूयं दलयइ दलयित्ता-जेणेव दाहिणिग्लस्म मुहमंडवस्स पुरथिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता लोमहत्थगं परामुसित्ता दारचेडाओ य सालभंजियाओ य वालरूवए र लोमहत्येणं पमजइ पमन्जित्ता तं चेव सवं जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिले दारे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता दारचेडाओ यसालभंजियाओ यबालरूवए य लोमहत्येणं पमन्नइ पमचित्तातं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्ले पेच्छघरमंडवे जेणेव दाहिणिलास पेच्छाघरमंडबस्स बहुपज्झदेसभागे जेणेव बहरामए अक्खाइए जेणेव मणिपेढिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता लोमहत्थगं परामुसइ परामुसित्ता अक्खाडगं च मणिपेढियं च सीहासणं च लोमहस्थएणं पमज्जइ पमञ्जित्ता दिव्याए दगधाराए अद्भुरखेइ अटभुक्खेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेमं चच्चए दलयइ दलयित्ता पुप्फारूहणं आसत्तो सत जाव धूवं दलवइ दलइता-जेणेव दाहिणिल्लम्स पेच्छाघरमंडवस्स पद्यस्थिमिल्ले दारे (तेणेव उवागच्छद उवागछित्ता तं चेब जेणेव दाहिणिलस्स पेच्छाघरमंडवस्स उत्तरिल्ले दारे तेणेव उवागचछइ उवा For Private And Personal Use Only
SR No.009739
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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