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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ रायपसेणियं - २७ सब्बरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तेसिंणं विमाणाणं बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसया पन्नत्ता ते जहा-असोगवडेसए सत्तवण्णवईसए चंपगवडेसए चूचवडेंसए मझे सोधमव.सएतेणं वडेंसगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तस्स णं सोधम्मवडेंसगस्स महाविमाणस्स पुरथिमेणं तिरिय असंखेनाइं जोयणसयसहस्साई वीईवइता एत्थ णं सूरियाभास देवस्स सूरियाभे विमाणे पन्नत्तेअद्धतेरस जोयणसयसहस्साई आयामविक्वंभेणं गुणयालीसं च सवसहस्साई बावत्रं च सहस्साई अट्ठय अडयाले जोयणसत्ते परिक्वणं से णं एगेणं पागारेणं सळओ समंता संपरिक्खित्ते से गं पागारे तिणि जोवणसवाई उड्ढं उच्चत्तेणं मूले एपंजोयणसयं बिक्खंभेणं मन्झे पन्नासं जोषणाई विक्खंभेणं उप्पिं पणवीसं जोयणाई विक्खंभेणं मूले विस्थिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंटाणसंठिए सब्बरयणामए अच्छे जाव पडिलवे से णं पागारे नानाविहपंचवण्णेहिं कविसीसएहि उवसोभिए तं जहा- किण्हेहिं नीलेहि लोहितेहिं हातिद्देहिं सुस्किलेहि कविसीसएहिं ते णं कविसीसगा एगंजोयणं आरामेणं अद्धजोवणं विक्खंभेणं देसूणं जोपणं उड्ढे उच्चत्तेणं सव्यस्यणामया अच्छा जाव पडिरूवा सूरियाभरस णं विमाणस्स एगमेगाए याहाए दारसहस्सं-दारसहरसं भवतीति मक्खायं ते ण दारा पंच जोवणसवाई उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढाइमाइंजोयणसयाई विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणंसेया वाकणगथूमियागा ईहाभिय-उसम-तुरग-नर - लाव परमलय- भत्तिचित्ता खंभुग्गय-बइरवेइया-परिणयाभिरागा विनाहर-जमल-जुयल-जंतजुत्ता पिव अचीसहस्समालणीया रूबगसहस्सकालवा पिसमाणा भिन्भिसमाणा चम्खुल्लोषणसलेसा सुहफासा सस्सिरीवरूवा वण्णो दाराणं तेसि होइ तं जहावइरामया निम्मा रिट्ठमया पइट्टाणा वेलियमया खंभा जायरूवोवचिय-पवरपंचवण्णमणिरयणकोट्टिपतला हंसगभगया एलुबा गोपेजमवा इंदकीला लोहियस्खमईओ दारधेडाओ जोइरसमया उत्तरंगा लोहियक्खमईओ सूईओ वइरामया संधी नानामणिमया समुग्णया वइरामया अगला अग्गलपासाया रचयमईओ आवत्तणपेढियाओ अंकुत्तरपासगा निरंतरियघणकवाडा भित्तीसु चेव भित्तिगुलिया छप्पन्न तिग्णि होति गोमाणसिया तत्तिया नानामणिरयणवालरूवर्ग-लीलहियसालभजियागा वइरामया कूड़ा रयवासया उस्सेहासब्बतवणिन्नमया उल्लोया नानामणिरयणजालपंजरमणिवंसग-लोहियक्ख-पडिवंसग-रययभोमा अंकामया पक्खा पखवाहाओ जोईरसमया वंसा वंसकवेल्लुयाओ रवयामईओ पट्टियाओ जायरूवमईओ ओहाडणीओ बइसमईओ उवरिपुंडीओ सव्वसेयरययामए छायणे अंकमय-कणगकूडतपनिज्जयूभिवागा सेया संखतल-बिमल-निम्मलदधिवण-गोखीरफेण-रययनिगरप्प- गासा तिलग-रयणद्धचंदचित्ता नानामणिदामालंकिया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज-वालुया-पत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासाईवा दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूया ।२७:27 (२८) तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस सोलस बंदणकलस-परिवाडीओ पत्रत्ताओ ते णं बंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुन्ना चंदणकयचधागा आविद्धकळंगुणा पउमुप्पलपिधाणा सव्यरचणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया-महया महिंदकुंभसमाणा पन्नत्ता समणाउसो तेसि णं दारमं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस नागदंतपरिवाडीओ पत्रताओ ते णं नागदंता मुत्ताजालंतरुसियहेमजाल-गवक्खजाल-खिंखिणीघंटा-जालपरिक्खित्ता अयुग्णया अभिनिसिट्ठा तिरियं सुसंपागहिया अहेपन्नगद्धरूवगा पन्नग For Private And Personal Use Only
SR No.009739
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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