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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदबाइयं - ५५ पुणरवि जम्मुप्पती न भवइ से तेणद्वेणं गोयमा एवं बुच्छ-ते णं तत्य सिद्दा भवंति सादीया अपज्जवसिया [असरीराजीवघणा दंसणनाणोवउत्ता निट्ठियट्ठा निरयणा नीरया निम्मला वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं] चिटुंति जीवा णं मंते सिज्झमाणा कयरस्मि संघयणे सिझंति गोयमा वइरोसभनारायसंघयणे सिझंति जीवा णमंते सिन्झमाणा कयरम्मि संठाणे सिझंति गोयमा छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे सिझंति जीवा णं मंते सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिझंति गोयमा जहन्नेणं सत्तरयणीए उक्कोसेणं पंचधणुसइए सिन्झतिजीवाणं मंतेसिज्झमाणा कयरम्मि आउए सिझंति गोयमा जहण्णेणं साइरेगट्ठवासाउए उक्कोसेणं पुवकोडियाउएसिझंति अस्थि णं मंते इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति नो इणट्टे समटे एवं जाव अहेसत्तमाए अत्थि णं भंते सोहप्मस्स कप्पस्स अहे सिद्धा परिवसंति नो इणढे समटे एवं सर्वसिं पुच्छा-ईसाणस्स सणंकुमारस्स जाव अचुयस्स गेवेचविमाणाणं अनुत्तरविमाणाणं अस्थिणं भंते ईसीपङमाराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति नो इणढे समढ़े से कहिं खाइ णं भंते सिद्धा परिवसंति गोयमा इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहगणनखत-तारारूवाणं बहूई जोयणाई बहूइं जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साइं बहूओ जोयणकोडीओ बहूओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूर उप्पइत्ता सोहमीसाणसणंकुमार-माहिंद बंभ-लंतग-महासुकूक-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण-अच्चुए तिणि य अट्ठारे गेविजयिमाणावाससए वीईवइत्ता विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिय-सव्वट्ठसिद्धस्स य महाविमाणस्स सव्वुवरिल्लाओ थूभियग्गाओ दुवालसजोयणाई अबाहाए एत्य णं ईसीपम्मारा नाम पुढवी पन्नत्ता-पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयाम-विखंभेणं एगा जोवणकोडी बायालीसं च सय सहस्साई तीसं च सहस्साइं दोण्णि य अउणापत्रे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं ईसीपन्भाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाई वाहल्लेणं तयाणंतरं च णं मायाए-मायाए परिहायमाणी-परिहायमाणी सव्येसु चरिम-परंतेसु मच्छियपत्ताओ तणुवतरी अंगुलस्स असंखेज्जइमागं बाहल्लेणं पत्रत्ता ईसीपभाराएणं पुढवीएदुवालस नामधेजा पन्नत्तातंजहा-ईसीइ या ईसीपदभराइ वा तणूइ वा तणुवरीइ वा सिद्धी या सिद्धालएइ वा मुत्तीइ या मुत्तालएइ वा लोयग्गेइ वा लोयग्गथूभिगाइ या लोयगपडियुज्झाणाइ वा सव्वपाण-भूय-जीव-सत्त-सुहावहाइ या ईसीपडभारा णं पुढवी सेया संखतल - विमलसोल्लिय - मुणाल - दगरय -तुसार-गोक्खीर-हारवण्णा उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिया सव्यज्जुणसुवण्णगमई अच्छा सण्हालाहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पका निक्कंकडच्छाया समरीजिया सुप्पभापासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ईसीपड्माराए णं पुढवीए सीवाए जोय मि लोगतो तस्स जोयणस्सजे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउयस्स जे से उवरिल्ले छटभागे तत्य णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपज्जवसिया अणेगजाइ-जरा मरण-जोणि-वेयणं संसारकलंकलीमावपुणभवगढभवासबसही-पवंचं अइकूकंतासासप-मणागयद्धं चिट्ठति।४३143 (५६) कहिं पडिहया सिद्धा कहिं सिद्धा पइट्ठिया कहिं बोदिं चइत्ताणं कत्थ गंतूणं सिज्झई (५७) अलोगे पडिहया सिद्धा लोयग्गे य पइडिया इहं वोदि चइत्ताणं तत्थ गंतूण सिज्झई |९||-1 ॥१०11-2 For Private And Personal Use Only
SR No.009738
Book TitleAgam 12 Uvavayaim Uvangsutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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