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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूतं - ५० गांधीनगर द्र-362009 अणट्टादंडे पच्चक्खाए जायजीबाए तं जहा अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्पोवएसे अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए से वि य वहमाणे नो चेव णं अवहमाणए [ से यि य थिमिओदए नो चेव णं कद्दमोदए से वि य बहुप्पसन्ने नो चेव णं अबहुप्पसन्ने] सेवि य परिपूए नो चेव णं अपरिपूए से वि य सावज्रे त्ति काउं नो चेव णं अणवज्रे से वि य जीवा ति काउं नो चेव णं अजीवा से वि य दिन्ने नो चेव णं अदिन्ने से विय हत्थ- पाय चरु- चमस पक्खालाणट्ट्याए पिबित्तए वा नो चेव णं सिणाइत्तए अम्मडस्स कप्पइ मागहए आइए जलस्स पडिगाहित्तए से वि य वहमाणए [ नो चेव णं अवहमाणे से वि य थिमिओदए नो चेव णं कद्दमोदए से विय बहुपसणे नो चेवणं अबहुप्पसण्णे से वि य परिपूए नो चेव णं अपरिपूए से वि य सावजे त्ति काउं नोव णं णव से वि य जीवा ति काउं नो चेव णं अजीवा से विन दिन्ने] नो चेव णं अदिन्ने से वि य सिणाइत्तए नो चेवणं हत्य-पाय- चरु-चमस-पक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा अम्मडस्स नो कप्पइ अण्णउत्थिए वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइबाई वंदित्तए वा नमसित्तए वा पूइत्तए वा सक्कारितए वा सम्माणित्तए वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पजुवासित्तए वा नन्नत्य अरहंतेहिं वा अम्मडे णं भंते परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उबवज्जिहिति गोयमा अम्पडे णं परिव्वायए उच्चावएहिं सीलव्यय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं समणोवासयपरियाय पाउणिहिति पाउणित्ता मासियाएसंलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सडिं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उवयजिहिति तत्य णं अत्येगइयाणं देवाणं दससागरोपमाई ठिई पन्नत्ता तत्य णं अम्मडस्स वि देवस्स दससारोवमाई ठिई से णं भंते अम्पडे देवे ततो देवलोगाओ आउक्खणं भवक्खएणं टिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति गोयमा महाविदेहे बासे जाई कुलाई भवंति अड्ढाई दित्ता वित्ताई वित्थिण्ण- विउल-भवण-सयणासण जाण - वाहणाई बहुधण - जायरूवरययाई आओग-पओग-संपउत्ताइं विच्छुड्डिय-पउर-मत्तपाणाई बहुदासी दास- गो-महिस-गवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पञ्चायाहिति तए णं तस्स दारगस्स गव्भत्थस्स चैव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धद्धमाण राइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपाए (अहीणपडिपुत्र-पंचिंदियसरीरे लक्खण-वंजण-गुणोववेह माणुम्माण पमाण पडिपुन्न -सुजाय-सव्वंगसुंदरंगे] ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दाराए पयाहिति तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिंति तइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति छट्ठे दिवसे जागरियं काहिंति एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे अम्पापियरो इमं श्यारूवं गोणं गुणनिष्पन्नं नामधेनं काहिंति-जम्हाणं अम्हं इमंसि दारगंसि गब्भत्यंसि चेव समाणंसि धम्मे दढापइण्णा तं होउ णं अम्हं दारए दढपणे नामेणं तरणं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेनं करेहिंति दढपइण्णत्ति तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो साइरेगढवासजायगं जामित्ता सोभणंसि तिहि-करण-नक्खत्त-मुकुत्तंसि कलायरियरस उवणेहिंति तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाओ गणिवम्हाणाओ सउणरु यपज्जवसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्तओ य अत्यओ य करणओ य सेहाविहिति सिक्खाविहिति For Private And Personal Use Only
SR No.009738
Book TitleAgam 12 Uvavayaim Uvangsutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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