SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्षपो-२, अक्षयणं-१ पहावीरस्स अंतिए धम्म सोचा निसम्म हट्ठतुढे जहा मेहो तहा अम्मापियरो आपुच्छइ निक्खमणाभिसेओ तहे जाव अणगारे जाए इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी तए णं से सुबाहू अणगारे सपणस्स भगवओ पहावीरस्स तहारूवाणं येराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारसअंगाई अहिजइ अहिञ्जित्ता बहूहिं चउत्थछट्टमतबोवहाणेहिं अप्पाणं भावेता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणिता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहिँ भत्ताई अणसणाए छेएता आलोइयपडिककंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ता एउववणे सेणं तओदेवलोगाओ आउखएणं भवरखएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चवं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लमिहिइ केवलं बोहि बुझिहिइ तहारूवाणं येराणं अंतिए मुंडे भवित्ताजार पव्वइस्सइ से णं तत्य बहूई वासाइं सामण्णं पाउणिहिद आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालगए सणंकुमारे कप्पे देवत्ताए उववञ्जिहिइ से णं ताओ माणुस्सं पव्वजा घपलोए माणुस्सं महासुक्के पाणुस्सं आणए माणुस्सं आरणे पाणुस्स सव्वट्टसिद्धे से णं तओ अनंतरं उच्वाट्टता महाविदेहे वासे जाई कुलाइं भवंति अड्ढाइं जहा दढपइण्णे सिन्झिहिइ बुझिइइ मुचिहिद परिनिवाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ एवं खलु जंयू समगेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं पढमस्स अज्झवणरस अवमढे पत्रत्ते त्ति देमि।३१।-33 जीए सुयक्खंचे पटपं अझयणं समतं. -: बी यं अ ज्झ य णं-भहनंदी :(३८) वित्तियस्स उक्खेवओ एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेमं सपएणं उसभपुरे नयरे धूमकरंडग उजाणं धण्णो जस्खो धणावहो राया सरस्सईदेवी सुम्मिणादसणं कहणा जम्मं बालत्तणं कलाओय जोव्वणं पाणिग्गहणं दाओ पासाय मोगा य जहा सुवाहुस्स नवरं-भद्दनंदी कुमारे सिरिदेवीपामोक्खा णं पंचसवा सामीसमोसरणं सावगधयं पुव्वभवपुच्छा महाविदेहे वासे पुंडरीगिणी नयरी विजए कुमारे जुगबाहु तित्ययरे पडिलाभिए मणुस्साउए निबद्धे इह उप्पण्णे सेसं जहा सुबाहुस्स जाय महाविदेहे वासे सिज्झिहिइजाव अंतं काहिइनिस्खेवओ।३२-१।-34-1 .बीए सुपक्खंधे बीयं अज्जपणं समतं. -: त इ यं अ म य -सुजा ए :(३९) तचस्स उखेवओ वीरपुरं नयरं मणोरमं उज्जाणं वीरकण्हमित्ते राया सिरी देवी सुजाए कुमारे वलसिरीपामोक्खा पंचप्तया सामीसमोसरणं पुव्यपवपुच्छा उसुयारे नयरे उसभदत्ते गाहावई पुष्पदंते अणगारे पडिलाभिए पणुस्साउए निबद्धे इह उप्पण्णे जाय महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुझिहिइ मुनिहिइ परिणिब्वाहिइ सव्वदुक्खापमंतं काहिइ निक्खेयओ।३२-२1-34-2 .बीए सपक्खंघे तइप अज्झयण सपत्तं. - घ उ त्यं अ ज्झ य णं-सु वा स वे :(४०) चउत्थस्स उक्खेवओ विजयपुरं नयरं नंदनवणं उज्जाणं असोगो जक्खो वासवदते रावा कण्हा देवी सुवासवे कुमारे भद्दापामोक्खाणं पंचसया जाव पुच्चभवे कोसंबी नयरी धणपाले राया वेसपणभद्दे अणगारे पडिलाभिए इह जाय सिद्धे।३२-३१-34-3 .बीए सुयकूखंघेचउत्पं अम्झायणं समतं. -: पंचम अ ज्झ यणे-जिण दा से :(४१) पंचपस्स उस्खेवओ सोगंधिया नयरी नीलासोगं उजाणं सुकालोजक्खोअप्पडिहओ For Private And Personal Use Only
SR No.009737
Book TitleAgam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 11, & agam_vipakshrut
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy