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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वग्गो-१, अप्रयणं-१-१० साहस्सीणं रूपिणीपाभोक्खाणं सोलसणं देवीसाहस्सीणं अनंगसेणापामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं अण्णेर्सिच बहूणं ईसर-जाव-सत्यवाहाणंबारायईए नयरीए अद्धभरहस्सय समंतस्स आहेवच्चं जाब विहाइ तत्य णं बारवईए नयरीए अंधगवण्ही नाम राया परिवसइ-महयाहिमयंतमहंत मलय-मंदर-महिंदसारे वण्णओ तस्स णं अंधगवहिस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्थावण्ण ओतएणं साधारिणी देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसर्गसिसयणिजंसिजावनियगवयणमइवयंतं सीहं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धा एवं जहा महबले ।१-२11-2 (४) सुमिणइंसण-कहणा जम्मं बालत्तणं कलाओय जोवण पाणिगहणंकण्णा पासायमोगाय ।।२।।-2 (५) नवरं-गोयमो नापेणं अट्ठण्हं रायवरकण्णाणं एगदिवसेणं पाणि गेण्हावेति अटुओ दाओ तेणं कालेणं तेणं सपएणं अरहा अरिट्ठनेमी आदिकरे जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं मावेमाणे विहरइ चउच्चिहा देवा आगया कण्हे वि निग्गए तए णं तस्स गोयमस्स कुमारस्स जहा मेहे तहा निग्गए धम्मं सोचा जं नवरं-देवाणुप्पिया अम्मापियरो आपुच्छामि [तओ पच्छा अंतिए मुंडा मवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि तए णं से गोयमे कुमारे एवं जहा मेहे जाव अणगारे जाए-इरियासमिए जाव इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओ काउं विहरइ तए णं से गोयसे अण्णया कयाइ अरहओ अरिद्वनेमिस्स तहासवाणं घेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाइ अहिलइ अहिञ्जित्ता बहूाहिं चउत्य-[छट्टट्ठम-दसम-जाव विविहेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं] भावेमाणे विहरइ तए णं अरहा अरिद्रुनेमी अण्णया कयाइ बारवईओ नयरीओ नंदणवणाओ पडिणिक्खमइ बहिया जणवयविहारं विहरइ तएणं से गोयमे अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव अरहा अरिठ्ठनेमी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अरहं अरिट्ठनेपिं तिरखुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेता वंदद नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते तुब्बेहिं अब्मणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरित्तए एवं जहा खंदओ तहा बारत भिक्खुपडिमाओ फासेइ गुणरयणं पि तवोकम्मं तहेव फासेइ निरवसेसं जहा खंदओ तहा चिंतेइ तहा आपुच्छइ तहा घेरेहि सद्धिं सेतुजं दुरूहइतिए णं से गोयमे बारस वासाइं सामनपरियागं पाउणिता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सद्धिं भताई अणसणाए छेदित्ता जाव केवलवरनाणदंसणं समुप्पडेत्ता तओ पच्छा] सिद्धे।। -1 (६) एवं खलु जंवू समणेणं भगवया महावीरेणं जाय संपत्तेणं अट्ठमस्त अंगस्स अंतगइदसाणं पढमस्स वागस्स पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते एवं जहा गोयमो तहासेसा अंधगवण्ही पिया धारिणी माया समुद्देसागरे थिमिए गंभीरे अयले कंपिल्ले अक्खोभे पसेणई विण्हू एए एगगमा।२12 .पटमे दग्गे इस अन्यपणाणि समसानि पहमोषपो समत्तो. बीओ-वग्गो - १-८-अ ज्झ य णा णि :(७) जइ [णं मंते समणेणं भगवया महावीरेणं अद्वपस्स अंगस्स अंतगडदसाणं पढमस्स वणस्स अयमढ़े पन्नते दोच्चस्सणं ते वागस्स अंतगडदसाणं समणेणं भगवया महावीरेणं के अटे पत्रते एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं दोन्चस्स वग्गस्स For Private And Personal Use Only
SR No.009734
Book TitleAgam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages42
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size1 MB
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