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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवाप्तगदसाओ १५ एयमढे विणएणं पडिसुणेइ तए णं से सद्दालपुत्ते समणोदासए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव पो देवाणुप्पिया लहुकरणजुत्त-जोइयं समखुरवालिहाण सपतिहियसिंगएहिं जंबूणयामयकलाबजुत्त-पइविसिअट्टएहिं रययामयघंटसुतर गवरकंचणखचिय-नत्थपागहोगहियएहिं नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिकणग-घंटियाजालपरिगयं सुजायजुगजुत्त उज्जुग पसत्यसुविरइय- निम्मियं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह उवढेतामम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा | सद्दालपुत्तेणं सपणोवासएणं एवं वुत्ता सपाणा हतु-चित्तमाणंदिय जाव पडिसुणेति पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त-जोइयं जाव धप्मियं जाणप्पवरं उवद्ववेत्ता तमाणत्तिय पच्चप्पिणंति तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया पहाया [कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई [मंगलाई वत्थाई पयर परिहिया] अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरा चेडियाचकवालपरिकिण्णा धम्मियं जाणप्पवरंदुरुहइ दुरुहित्ता पोलासपुर नयरं मझंमज्झेणं निग्गच्छई निग्गच्छिता जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे तेणेव उदागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मेियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता चोडियाचक्कवालपरिकिण्णा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद उवागछित्ता तिक्खुत्तो [आयाहिणपयाहिणं करेइ करेत्ता] वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता नचासण्णे नाइदूरे [सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहे विणएणं] पंजलियडा ठिइया चेव पछुवासइ तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गमित्ताए तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धर्म परिकहेइ तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ट जाव समणं भगवं महावीरं तिखुत्तो आयाहेण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमंसइ वंदिता नमंसित्ता एवं बयासी-सदहामिणं भंते निणथं पावयणं जाय जहेयं तुझे बदइजहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मलाई लेच्छई अण्णे य बहवे राईसरतलवर-पांडबिय-कोडुविय-इब्म-सेटि-सेणावइ-सत्यवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पब्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता [अगाराओ अणगारियं पब्बइत्तए! अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवजिस्सामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेहि तए णं सा अग्गिमित्ता मारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं-दुवालसविहं गिहिधर्म पडियजइ पडियजित्ता समणं भगवं महावीरं बंदइ नसंसइ वंदित्ता नमंसिता तमेव धम्मियं जाणप्पदरं दुरुहइ दुरुहित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया तए णं समणे भगवं मह्मवीरे अण्णदा कदाइ पोलासपुराओ नगराओ सहस्संबवणाओ उजाणाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खभित्ता बहिया जणयपविहारं विहरइ।४३।-43 (४६) तए णं से सद्दालपुत्ते सपणोवासए जाए-अभिगयजीवाजीवे जाव (समणे निगंथे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिगह-कंबलपायपुंछणेणं ओसह-भेसजेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणोयासिया जाया-अभिगयजीवाजीवा जाय विहरइ) तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते इपीसे कहाए लखढे समाणे-एवं खलु सद्दालपुत्ते आजीचियसमयं वमिता समणाणं निगंधाणं दिट्टि पवण्णे तं गच्छामि णं सद्दालपुतं आजीविओवासयं समणाणं निगंधाणं दिद्धिं वामेत्ता For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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