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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायाचप्पकहाओ - 9/1५/६८ तओ पच्छा सिद्धे बुद्धे मुत्तेअंतगड़े परिनिब्बुड़े सव्वदुक्खप्पहीणे] ६२1-58 (६९) तए णं तस्स सेलग्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तुच्छिहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य उपहेहि य कालाइकंतेहि य पमाणाइकंतेहि य निचं पाणभोयणेहिं य पयइ-सुकुमालस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेचणा पाउब्यूया-उन्मला विउला कक्खडा पगाढा चंडा दुक्खा] दुरहियासा कंडु-दाह-पित्तजर-परिंगयसरीरे याचि विहरइ तए णं से सेलए तेणं रोययंकेणं सुक्के मुखे जाए यादि होत्था तए णं से सेलए अण्णया कयाइ पुयाणुपुट्विं चरमाणे [गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेय सेलगपुरे नयरे जेणेय सुभूभिभागे उजाणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिहिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे] विहाइ परिसा निगाया मंडओ विनिग्गओ सेलगं अणगारंवदइ नमसइ पञ्जवासइ तए णं से पंडुए राया सेलगत्स अणगारस्स सरीरमं सुकं भुक्खं सव्वाबाहं सरोगं पासइ पासित्ता एवं वयासी-अहण्णं भंते तुटमं अहापवत्तेहिं तेगिछिएहिं अहापवत्तेणं ओसहभेसजभत्तपाणेणं तेगिछं आउट्टावेमि तुझे भंते मम जाणसालासु सनोसरह फासु-एसणिज्जं पीढफलग-सेजा-संथारगं ओगिण्हिताणं विहरह तएणं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रण्णो एयमहूँ तह त्ति पडिसुणेइ तए णं से मंडुए सेलगं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता जापेव दिसि पाउडभूए तामेव दिसि पडिगए तए णं से सेलए कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाद उठ्ठियपि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते स-भंड-मत्तोरवगरणमायाए पंतगपपाओक्खेहिं पंचहिं अणगारसएहिं सद्धि सेलगपुरमणुप्पविसइ अनुपविसित्ता जेणेव मंडुदरस रपणो जाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता फासु-एसणिज्ज [पीढ-फलग-सेना-संथारगं ओगिण्हेित्ताणं] विहरइ तए णं से मंडुए तेगिच्छिए सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं बयासी-तुडपे णं देवाणुपिया सेलगम्स फासु-एसणिज्जेणं [ओसह-भेसज्ज-भतपाणेण] तेगिच्छं आउट्टेह तए णं ते तेगिच्छिया मंडुएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हतुट्ठा सेलवगस्स अहापवत्तेहिं ओसह-भेसन-भत्तपाणेहिं तेगिच्छं आउहेंति मज्झपाणगं च से उवदिसंति तए णं तस्स सेलगस्स अहापरत्तेहिं जाय मजपाणएण य से रोगायके उवसंते यायि होत्या-हट्टे गल्लसरीरे जाए रवगयरोगायंके तए णं से सेलए तंसि रोगायंकसि उवलंतंसि समाणंसि तंसि विपुले असण-पाण-खाइमसाइमे मज्जपाणए य सुच्छिए गदिए गिद्धे अन्झोववत्रे ओसन्ने ओसन्नविहारी पासो पासस्थविहारी कुसीले कुसलविहारी पमत्ते पमत्तलिहारी) संसते संसत्तविहारी उउबद्ध-पीढं पपत्ते यावि विहरइ नो संचाएइ फासु-एसणिज्नं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं पचप्पिणित्ता मंडुयं च रायं आपच्छित्ता दहिया जणवयविहारं विहरित्तए।६३1-57 (७०) तए णं तेसिं पंथगवजाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अण्णया कयाइ एगयओ सहियागं समुवागयाण सणिसण्णाणं सपिणविठ्ठाणं पुव्वरतावरत्तकाल समयसि धम्मजागरियं जागरमाजाणं अयमेयारूवे अज्झथिए [चिंतिए पथिए मणोगए संकप्पे) समुष्पञ्जित्था-एवं खलु सेलए रावरिती चइत्ता रग्नं जाव पन्चइए विउले असण-पाण-खाइम-साइमे मजपाणए य मुछिए नो संचाएइ[फासु-एसणिजं पीढ-फलग-सेजा-संधारयं पचप्पिणिता मंडुयं च रायं आपुच्छित्ता दहिया जणययविहारं] विहरित्तए नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया समणाणं [निग्गंथाणं ओसन्नाणं पासत्थाणं कुसीलाणं पमत्ताणं संसताणं उउ-बद्धं-पीढ-फलग-सेजा-संथारएपमत्ताणं विहरित्तएतं सेयं खलु देवाणुप्पिया अम्हं कल्लं सेलग रायरिसिं आपुच्छिता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेना-संघरयं पच्चप्पि For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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