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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ नापापमहाओ - 9/12/५० संभग्ग-महिय-गतं करेंति करेत्ता अवउड़ा बंधणं करेति करेत्ता देवदिन्नस्स दारगस्स आमरणं गेहंति गेण्हिता विजयस्स तक्करप्स गीवाए बंधंति बंधित्ता मालुयाकच्छगाओ पडिणिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उयागच्छति उवागच्छित्ता रायगिह नयरं अनुष्पविसंति अनुप्पविसितारायगिहे नयरे सिंघाडग-तिग-चउक-चन्चर-चउम्मुह-महापहपहेसुकसप्पहारे य छिवापहारे व लयापहारे य निवाएमाणा-निवाएमाणा छारं च धूलिं च कयवरं च उवरि पकिरपाणा-पकिरमाणा महया-महया सद्देणं उग्पोसेमाणा एवं वयंति-एस णं देवाणुप्पिया विजए नाम तककरे-पावचंडालसवे भीमतररुद्दकम्मे आरुसिय-दित्त-रत्तनयणे खरफरुस-महल्ल-विषयबीपच्छदाढिए असंपुडियउट्टे उद्यय-पइण्ण-बंतमुद्धए भमर-राहुवण्मे निरणुक्कोसे निरणुतावे दारुणे पइभए निसंसहए निरणुकंपे अहीच एमंतदिट्ठीए खरेव एतधाराए गिद्धेव आसिसतल्लिच्छे अग्गिमिव] सब्वभक्खी वालयायए बालमारए तं नो खलु देवाणुप्पिया एयरस केइ राया वा रायमच्चे वा अवरज्झइ नत्रत्य अप्पणो सयाई कमाई अदरझंति ति कड जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता हडिबंधणं करेंति करेत्ता भत्तपाणनिरोह करेंति करेत्ता तिसझं कसप्पहारे य छियापहारे य लयापहारे य निवाएमाणा विहरंति तए णं से धणे सस्थवाहे मितनाइ-नियग-सवण-संबंधि-परियणेणं सद्धिं रोयमाणे [कंदमाणे] विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्ढीसक्कार-समुद्दएणं नीहरणं करेति कोत्ता बहूई लोइयाइं मरगकिच्चाई करेति करेत्ता केणइ कालंतरेणं अवगयसोए जाए यावि होत्था।।५।-39 (५१) तए णं से धणे सत्यवाहे अण्णया कयाइं लहसयंसि रायावराहसि संपलिते जाए यावि होत्या तए णं से नगरगुत्तिया धणं सत्यवाहं गेण्हंति मेण्हित्ता जेणेव चारए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता चारगं अनुष्पवेसंति अनुप्पवेसित्ता विजएणं तकरेणं सहिं एयगओ हडिबंधणं करेति तए णं सा भद्दा भारिया कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडेइ भोयणपिडयं करेइ करेत्ता भोयणाई पक्खिबइ लंछिय-मुद्दियं करेइ करेत्ता एगं च सुरभि वर वारिपडिपुन्नं दगवारयं करेइ करेता पंधयं दासवेडयं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं बयासी--गच्छह णं तुम देयाणुप्पिया इमं विपुलं असणं पाणं खाइर्म साइमं गहाय चारगसालाए धणस्स सत्यवाहस्स उवणेहि तए णं से पंथए मदाए सत्यवाहीए एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्टे तं पोवणपिडयं तं च सुरभिवरवारिपडिपुन्नं दगवारयं गेहइ गेण्हिता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खभित्ता रायगिहं नगरं पझंमज्झेणं जेणेव चारगसाला जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता भोयणपिडयंठवेइ ठवेत्ता उल्लंछेइ उल्लंछेता भोयण गेण्हइ गेण्हिता थायणाई ठावइ ठावित्ता हत्यसोयं दलयइ दलइत्ता घणं सत्यवाह तेणं विपुलेणं असण-पाण-खाइस-साइमेणं परिवेसेइ तए णं से विजए तक्करे धणं सत्यवाहं एवं ययासी-तुटभे णं देयाणुप्पिया पमं एयाओ विपुलाओ असण-पाण-पाण- खाइस- साइमाओ संविभाग करेहि तए पं से धणे सत्यवाहे विजयं तक्करं एवं क्यासी-अदियाइं अहं विजया एवं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं कायाण वा सुणगाण वा दलएजा उकुरुडियाए वा णं छडेजा नो चेवणं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स पडणीयस्स पच्चापित्तस्स एत्तो विपुलाओ असण-पाण-खाइम-साइमाओ संविभागं करेजामि तए णं से धणे सत्यवाहे तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं आहारेइ तं पंययं पडिविसजेइ तए णं से पंथए दासचेडए तं भोयणपिडगं गिण्हइ For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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