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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२९ सुयखंघो-१, अद्मपर्ण-१६ निवेसेइ निवेसेता दोवईए रायवाकनाए रूवे य दोवण्णे य लावणे य जावविहए दोयई राववरकन्नं एवं वयासी-जस्म णं अहं तुमं पुत्ता रायस्स वा जुवरावस्स वा पारियत्ताए सयमेव दलइस्सामि तत्थ णं तुमं सुहिया वा दुहिया वा भवेज्नासि तए णं मप जावनीवाए हिययदाहे भविस्सइतं णं अहं तव पुत्ता अजायए सयंवरवं वियरामि अज्जयाए णं तुमं दिनसवंबरा जणं तुमं रायमेव रावं वा जुवरायं वा बरेहिसि कसं णं तव मत्तारे भविस्सइ ति कट्ट ताहि इटाहिं [कंत्ताहिं पियाहि मणुण्णाहिं मणामाहिं वग्गूहिं] आसासेइ आसासेत्ता पडिविसजेइ।१२२|-116 (१६९) तए णं से दुवए राया दूयं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं बयासी-गच्छह णं तुपं देवाणुप्पिया वारवई नयरिं तस्थ णं तुमं कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे दलदेवपामोखे पंच महावीरे उग्गसेणपामोकखे सोलस रायसहस्से पजुत्रपामोखाओ अद्धट्टाओ कुमारकोंडीओ संबपामोक्खाओ सहि दुइंतसाहस्सीओ वीरसेणपामोखाओ एक्कवीसं वीरपुरिससाहम्सीओ महासेण पामोक्खाओ छप्पन्नं वलवगसाहस्सीओ अण्णे य बहवे राईसर-तलवर- माइविय- कोबिवइम-रोटि-सेणायइ-सस्थवाहपभिइओ करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं कदावहि वन्द्वावेत्ता एवं ववाहि-एवं खलु देवाणुप्पिया कंपिल्लपुरे नवरे दुवयस्स रणो धूयाए चूलगीए अत्तयाए धट्ठझुणकुमारस्स भइणीए दोवईए रायवरकण्णाऐ सयंवरे भविस्सइ तंणं तुभे दुवर्य रायं अनुगिहेमाणा अकालपरिहीणं चेव कंपिल्लपुरे नयरे समोसरह तए णं दूए करयल [परिग्गहियं दसनहं सिरासावत्तं मत्थए अंजलिं] कट दुवयस्स रण्णो एयभट्ट पडिसुणेइ पडिपणेता जेणेच सए गिहे तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता कोडुविधपुरिसे सदावेइ सदावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया बाउग्धंट आसरहं जुत्तामेव उवहवेह ते वि तहेव उववेति तए पं से दूए पहाए जाव अप्परहग्धाभरणालंकियसरीरे चाउाधंट आसरहं दुरूहइ दुरूहित्ता बहहिं पुरिसेहि-सण्णद्ध-[बद्ध-वम्पिय-कवएहिं उप्पीलिय सरसण-पट्टिएहि पिणद्ध-गेविजेहिं आविद्ध - विमल - वरचिंध - पट्टेहिं] गहियाउह- पहरजेहिं -सद्धि संपरिबुड़े कंपिल्लपुरं नयां मज्झंमझेणं निग्गछइ पंचालनणवयस्स मज्झमझेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सुरद्वाजणवयस्स मन्झमझेणं जेणेव बारवई नचरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वारबइं नवार मझमझेणं अनुप्पविसइ अनुप्पविसत्ता जेणेव कण्हस्स वासुदेवम्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता चाउग्धं आसरहं ठावेद ठावेत्ता रहाओ पच्चोस्वहइ पच्चीसहित्ता मणुस्सवगुरापरिक्खिते पायचारविहारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ उबागच्छित्ता कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामोखे य दस दसारे जाव छप्पन्नं बहलबगसाहस्सीओ करयल तं चेव जाव समोसरह तए णं से कण्हे वासुदेवे तस्स दूपस्स अंतिए एयमई सोचा निसप्पं हहतुह-[चित्तमाणंदिए पीइपणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण] -हियए तं दूयं सकारेइ सप्पाणेइ सककारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसजेइ तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासीगच्छह णं तुम देवाणुप्पिया सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरि तालेहि तए णं से कोडुबियपुरिसे करयल [परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु काहस्स वासुदेवस्स एयमढें पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया मेरी तेणेव उवागच्छाइ उवागच्छित्ता सामुदाइयं भेरिं महया महया सद्देणं तालेइ तए णं ताए सामुदाइयाए मेरीए तालियाए समाणीए For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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