SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्खंयो-१, अन्यायणं-१६ अभिरूइए तं इच्छामिणं तुटभेहिं अभणुण्णाया पब्वइत्तए जाव गोवालियाणं अजाणं अंतिए पव्वइया तएणं सा सूमालिया अजा जाया-इरियासमिया जाय गुत्तयंभयारिणी बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठमदसप दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं पावेमाणी] विहरइ तए णं सा सूमालिया अन्ज अनया कयाइं जेणेव गोवालियाओ अजाओ तेणेव उवागच्छइ ज्वागच्छिता यंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं ययासी-इच्छामि णं अजाओ तुटभेहिं अभणुप्णाया समाणी चंपाए नवरीए वाहिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछड्डेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेण सूराभिमुही आयावेमाणी विहरित्तए तए णं ताओ गोवालियाओ अजाओ सूपालियं अजं एवं वयासी-अम्हे णं अजो समणीओ निगंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ नो खलु अहं कप्पइ बहिया गामस्स या जाव सण्णिवेसस्स वा छ8ष्टेणं [अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुहीणं आयावेमाणीणं] विहरत्तिए कप्पइ णं अहं अंतो उवस्मयस्स वइपरिस्वितस्स संघाडिबद्धियाए णं समतलपइयाए आयावेतए तए णं सा सूमालिया गोवालियाए एयमटुं नो सद्दहइ नो पतियइ नो रोएइ एयमटुं असद्दहमाणी अपत्तियमाणी अरोयमाणी सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछद्रेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्पेणं सुराभिमुही आयावेमाणी] विहरइ।११९/-113 (१६६) तत्य णं चंपाए ललिया नाम गोट्टी परिवसइ-नरवइ-दिन-पयारा अप्पापिइ. नियणनिपिवाला वेसविहार-कय-निकेया नाणाविह-अविणयप्पहाणा अड्ढा जाब यहुजणस्स अपरिभूया तत्य णं चंपाए देवदत्ता नामं गणिया होत्था-सूमाला जहा अंड-नाए तए णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अण्णया कवाइ पंच गोहिल्लापुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूभिभागस्स उज्जायणस्स उजाणसिरिं पचणुरुभवमाणा विहरंति तत्थ णं एगे गोहिल्लगपुरसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे घोइ एगे पिट्टओ आयवत्तं धरेइ एगे पुप्फपूरगं रएइ एगे पाए रएइ एगे वामरूस्खेवं करेइ तए णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहि गोहिलपुरिसेहिं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणि पासइ पासित्ता इमेवारूवे संकप्पे समुप्पज्जित्था-अहो णं इमा इस्थिया पुरापोराणाणं [सुचिण्णाणं सुपरकूकंताणं कडाणं कल्लाणाणं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पञ्चणुब्मवमाणी] विहरइ तं जइ णं केइ इमस्स सुचरियस्स तव-नियम-बंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अस्थि तो णं अहमवि आगमिस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाई उरालाइ [माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी] विहरिजामि त्ति कटुनियाणं करेइ करेत्ता आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ।१२०।-114 (१६७) तए णं सा सूमालिया अज्जा सरीरवाउसिया जाया यावि होत्था- अभिक्खणंअभिरखणं हत्थे धोयेइ पाए धोवेइ सीसं धोयेइ मुहं धोवेइ थणंतराइं धोवेइ कक्खंतराइं धोवेइ गुझंतराइं धोवेइ जत्य णं ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेएइ तत्य वि य णं पुव्वापेव उदएणं अत्युक्खेत्ता तओ पच्चा ठाणं या सेजं वा निसीहियं वा चेएइ तएणं ताओ गोवालियाओ अजाओ सुमालियं अजं एवं वयासी-एवं खलु अजे अम्हे समणीओ निग्गंधीओ इरियासमियाओ जाव रंभचेरधारिणीओ नो खलु कप्पइ अम्हं सरीरबाउसियाए होत्तए तुमं च णं अज्जे सरीरबाउसिया अभिक्खणं-अभिक्खणं हत्ये धोवेसि [पाए धोवेसि सीसं धोदेसि मुहं धोवेसि थणंतराइं धोवेसि कक्खतराइंधोयेति गुन्झंतराइंधोदेसि जत्यणं ठाणं वा सेजं वा निसीहियं वा चेएसि तत्थ वि य णं पुव्वापेर उदएणं अभुक्खेत्ता तओ पच्छा ठाणं वा सेनं वा निसीहियं या] चेएसि तं तुम णं देवाणुप्पिवए एयस्स ठाणस्स आलोएहिं [निदाहि गरिहाहि पडिक्कमाहि विउदाहि विसोहेहि For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy