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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपक्खंधो-१, अन्यपणं-१५ ११५ जाव अपरिपूए तीसे णं चंपाए नयरीए उत्तरपुत्थिमे दिसीमाए अहिच्छता नाम नयरी होत्यारिद्धस्थिपिय-समिद्धा वण्णओ तत णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नाम राया होत्या- महया वण्णओ तए णं तस्स धणस्स सत्यवाहस्स अन्नया कयाइ पुय्वरत्तवरत्तकालसमयंसि इमेयारूचे अन्झत्यिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पल्जित्था-सेयं खलु मम विपुलं पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं नयरिं वाणिज्जाए गमित्तए-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता गणिमंच धरिमं च भेनं च पारिच्छेनं च -चउब्विहं भंडं गेण्हइ गेण्हित्ता सगडी-सागडं सजेइ सजेत्ता सगडी-सागडं भरेइ भरेता कोडुबियपुरिसे सदावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुडभे देवाणुप्पिया चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव महापहपहेसु उग्धोप्सेमाणा-उग्धोसेमाणा एवं ववह-एवं खलु देवाणुप्पिया घणे सत्यवाहे विपुलं पणिवं आदाय इच्छइ अहिच्छतं नयरिं वाणिज्जाए गमित्तए तं जो णं देवाणुप्पिया चरए वा चीरिए वा चम्मखंडिए वा भिच्छंडे वा पंडुरंगे वा गोयमे वा गोव्वतिए वा गिहिधम्मे या धम्मचिंतए वा अविरुद्ध-विरुद्ध-बुड्ढसावग-रत्तपड-निगंथप्पमिई पासंडत्ये वा गिहत्थे वा घणेणं सत्यवाहेणं सद्धि अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ तस्स णं घणे सत्यवाहे अच्छत्तगस्स छत्तगं दलयइ अनुवाहणस्स उवाहणाओ दलयई अकुंडियस्स कुंडियं दलयइ अपत्थयणरस पत्थयणं दलयइ अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयइ अंतरा वि य से पडियस्स वा भग्गलुग्गस्स साहेनं दलयइ सुहंसुहेणं य अहिच्छत्तं संपावेइ त्ति कट्टदोचंपि तचंपि घोसणं घोसेह घोसेत्ता मम एयमाणत्तियं पद्यप्पिणह तए णं कोडुंबियपुरिसा [धणेणं सत्ययाहेणं एवं वुत्ता समाणा हहतुट्ठा चंपाए नयरीए सिंगाडग जाव महापहपहेसु एवं वयासी-हंदि सुणंतु भगवंतो चंपानयरीवत्तव्या बहवे चरगा वा जाव गिहत्था वा जो णं धणेणं सत्यवाहेणं सद्धिं अहिच्छत्तं नयरिं गच्छइ तस्स णं घणे सत्थवाहे अच्छत्तस्स छत्तगं दलयइ जाव सुहंसुहेण व अहिच्छत्तं संपावेइ ति कट्ट दोचंपि तचंपि घोसणं घोसेत्ता तमाणत्तियं] पच्चप्पिणंति तए णं तेसि कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयरटुं सोचा चंपाए नयरीए बहवे बागा य जाव निहत्था य जेणेव घणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छति तए णं घणे सत्यवाहे तेसिं चरगाणं य जाय गिहत्याण य अच्छत्तगस्स छत्तं दलयइ जाय अपत्थयणस्स परथयणं दलयइ दलयित्ता एवं वासी-गच्छह णं तुबो देवाणुप्पिया चंपाए नयरीए बहिया अपगुजाणंसि ममं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठह तएणं ते चागा य जाय निहत्था य धणेणं सत्यवाहेणं एवं वुता समाणा [चंपाए नयरीए वहिया अग्गजाणंसि धर्ण सत्यवाहं पडिवालेसाणा-पडिवालेमाणा) चिट्ठति तएणं घणे सत्यवाहे सोहणंसि तिहि-करण-नरखत्तंसि विउलं असण-पाण-खाइप-साइमं उवक्खडावेइ उयक्खडावेत्ता मित- नाइ-जाव आमंतेइ आमंतेत्ता भोयणं भोयावेइ भोयावेता आपुच्छइ आपुच्छित्ता सगडी-सागडं जोयावेइ जोयावेत्ता चंपाओ नयरीओ निग्गच्छइ निगच्छित्ता नाइविप्पगिटेहिं अद्धाणेहिं वसमाणे-वसमाणे सुहेहिं वसहि-पायरासेहिं अंगं जणवयं मझमझेणं जेणेव देसागं तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सगडी सागई मोयायेइ सस्थनिवेसं करेइ करेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेता एवं ययासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया मम सत्यनिवेसंसि महयामहया सद्देणं उग्धोसेमाणा-उग्धोसेमाणा एवं वयह एवं खलु देवाणुप्पिया इसीसे आगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडबीए बहुमज्झदेसभाए एत्थणं बहवे नंदिफला नाम रुक्खा-किण्हा जाय पतिया पुफिया फलिया हरिया रेरिजमाणा सिरीए अईवअईव उपसोभेमाणा चिट्ठतिमणुण्णा वण्णेणं मणुण्णा गंधेणं मणुण्णा रसेणं मणुण्णा फासेणं मणुण्णा छायाए For Private And Personal Use Only
SR No.009732
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Angsutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages182
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size4 MB
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