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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मी सतं - नदेसो-१० पोग्गलत्यिकाए अनंताई दबाई खेत्तएओ लोयप्पमाणमेत्ते कालओ न कयाइ न आसि न कयाइ नत्थिन कयाइ न भविस्सइ-भविंसु य भवति य भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अब्बए अवविए निच्चे भावओ वण्णमंते गंधमेते ररसाते फासमंते गणओ गहणगणे ।११७1-117 (१४३) एगे भंते धम्मत्यिकायपदेसे धप्पथिकाएत्ति वत्तव्वं सिया गोयमा नो इणटे समटे एवं दोण्णि तिण्णि चत्तारि पंच छ सत्त अट्ठ नव दस संखेज्जा असंखेजा भंते धम्मत्यिकायपदेसा धम्मस्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया गोयपा नो इणढे समढे एगपदेसूणे वि य णं भंते धपस्थिकाए धम्मस्थिकाए त्ति वत्तव्यं सिया गोयमा नो इणटे समटे से केणटेणं भंते एवं बुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्पत्यिकाए त्ति वत्तव्यं सिया जाय एगपदेसूणे वि य णं धम्मस्थिकाए नो धम्पत्थिकाए ति वत्त सिया से नूणं गोयमा खंडे चकूके सगले चक्के भगवं नो खंडे चक्के सगले चक्के (खंडे छत्ते सगले छत्ते भगवं नो खंडे छत्ते सगले छते खंडे चम्मे सगले चम्मे खंडे दंडे सगले दंडे भगवं नो खंडे दंडे सगले दंडे खंडे दूसे सगले दूसे भगवं नो खंडे दूसे सगले दूसे एंडे आयुहे सगले आयुहे भगवं नो खंडे आयुहे सगले आयुहे खंडे मोदए सगले मोदए भगवं नो खंडे मोदए सगले मोदए से तेणटेणं गोयमा एवं बुच्चइ-एगे धम्मत्यिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्यं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्पत्थिकाए नो धम्मस्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया से किंखाइ णं भंते धम्मस्थिकाए त्ति वत्तव्यं सिया गोयमा असंखेना धम्मस्थिकायपदेसा ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एक गहणगहिया-एस णं गोयमा धम्मस्थिकाए त्ति वत्तव्यं सिया एवं अधम्मत्यिकाए वि आगासस्थिकाय-जीवत्येिकाय-पोग्गलस्थिकाया वि एवं चेव नवरं-तिण्हं पि पदेसा अनंता भाणियव्या सेसं तं चेव |११८1.118 (१४४) जीवे णं मंते सउट्ठाणे सकम्मे सबले सीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे आय - भावेणं जीवभावं उपदंसेतीति वत्तव्वं सिया हंता गोयमा जीवे णं सउहाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे आयभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्यं सिया से केण- टेणं भंते एवं बुच्चइ-जीवे णं सउठाणे सकम्मे सबले सीरिए सपरिसकार-परक्कमे आय- भावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव् सिया गोयमा जीवे णं अनंताणं आभिणिबोहियनाण- पञ्जवाणं अनंताणं सुयनाण पज्जवाणं अनंताणं ओहिनाणपञ्जवाणं अनंताणं मणपज्जवनाण- पञ्जवाणं अनंताणं केवलनाणपजवाणं अनंताणं मइअन्नाणपजवाणं अनंताणं सुयअन्नाण- पजवाणं अनंताणं विभंगनाणपजवाणं अनंताणं चक्खुदंसणपज्जवाणं अनंताणं अचक्खुदं- सणपज्जयाणं अनंताणं ओहिदंसणपजवाणं अनंताणं केवलदंसणपज्जवाणं उयओगं गच्छइ उयओगलक्खणे णं जीवे से एएणटेणं एवं बुच्चइ-गोयपा जीवे णं सउट्ठाणे सिकम्मे सबले सदीरिए सपरिसककार-परक्कमे आयभावेणं जीवभावं उवदंसेतिति वत्तव्यं सिया ।११९५-119 (१४५) कतिविहे णं भंते आगासे पत्रत्ते गोयमा दुविहे आगासे पत्रत्ते तं जहा लोयागासे य अलोयागासे य लोयागासे णं भंते किं जीवा जीवदेसा जीवप्पदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवप्पदेसा गोयमा जीवा वि जीवदेसा वि जीवप्पदेसा वि अजीवा वि अजीवदेसा वि अजीवपदेसा वि जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिंदिया अणिंदिया जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा बेइंदियदेसा तेइंदियदेसा चउरिदियदेसा पंचिंदियदेसा ] अणिदियदेसा जे जीवप्पदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा [बेइंदियपदेसा तेई For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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