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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४० भगवई - २५/-14/८९४ ओवमा णं-पुच्छा गोयमा नो संखेजाओ आवलियाओ सिय असंखेजाओ आवलियाओ सिय अनंताओ आवलिया-ओएवं जाव उस्सप्पिणीओ पोग्गलपरियाण-पुच्छा गोयमा नो संखेज़ाओ आवलियाओ नो असंखेजाओ आवलियाओ अनंताओ आवलियाओ थोवे णं पते किं संखेजाओ आणापाणूओ असंखेजाओ जहा आवलियए वत्तव्यया एवं आणापाणूओ वि निरवसेसा एवं तेणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा सागरोयमे णं मंते किं संखेजा पलिओवमा - पुच्छा गोयमा संखेज्जा पलिओवभा नो असंखेशा पलिओवमा नो अनंता पलिओवमा एवं ओसप्पिणी वि उस्सप्पिणी वि पोग्गलपरियट्टेणं-पुच्छा गोयमा नो संखेज्जा पलिओवमा नो असंखेज्जा पलिओवमा अनंता पलि-ओरमा एवं जाव सब्बद्धा सागरोवमा णं भंते किं संखेज्जा पलिओवमा-पच्छा गोयमा सियसंखेज्जा पलिओवभा सियअसंखेज्जा पलिओवमा सिय अनंता पलिओवमा एवं जाव ओसप्पिणी वि उस्सप्पिणी वि पोग्गलपरियट्टा णं-पुच्छा गोयमा नो संखेजा पलिओवमा नो असंखेज़ा पलिओवमा ओसप्पिणी णं मंते किं संखेज्जा सागरोवमा जहा पलिओवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि पोग्गलपरियद्दे णं भंते किं संखेज्जाओ ओसप्पिणीउस्सष्प्णीओ-पुछा गोयमा नो संखेजाजओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ नो संखेजाओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ अनंताओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ एवं जाव सचद्धा, पोग्गलपरियाणं भंते किं संखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ-पुच्छा गोयमा नो संखेजाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ नो असंखेजाओ ओस-प्पिणि-उस्सप्पिणीओ अनंताओ ओप्सप्पिणि-उस्सप्पिणीओ तीतद्धा णं मते किं संखेजाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ-पुच्छा गोयमा नो संखेजाओ ओसप्पिणि-उत्सप्पिणीओ नो असंखेना- ओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ अनंताओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, तीतद्धा णं भंते किं संखेजा पोग्गलपरियट्टा-पुच्छा नो संखेजा पोग्गलपरियट्टा नो असंखेज्जा पोग्पलपरियट्टा अनंता पोग्गलपरियट्टा एवं अणागयद्धा वि एवं सव्वद्धा वि ७४८1-747 (८९५) अणागयद्धाणं भंते किं संखेनाओ तीतद्धाओ असंखेज्जाओ अनंताओ गोयपानो संखेज्जाओ तीतद्धाओ नो असंखेजाओ तीतद्धाओ नो अनंताओ तीतद्धाओ अणागयद्धा णं तीतद्धाओ समयाहिया तीतद्धा णं अणागयद्धाओ समपूणा सम्बद्धा णं भंते किं संखेनाओ तीतद्धाओ-पुच्या गोयमा नो संखेज्जाओ तीतद्धाओ नो असंखेज्जाओ तीतद्धाओ नो अनंताओ तीतद्धाओ सव्वद्धाणंतीतद्धाओ सातिरेगद्गुणा तीतद्धाणं सव्वद्धाओ थोखूणए अद्धे सबद्धाणं भंते किं संखेनाओ अणागयद्धाओ नो असंखेशाओ अणागयद्धाओ नो अनंताओ अणागयद्धाओ सव्वद्धा णं अणागयद्धाओ घोवूणगदुगुणा अणागयद्धा णं सव्वद्धाओ सातिरेगे अद्धे ।७४९१-748 (८९६) कतिविहा गं भंते निओदा पत्रत्ता गोयमा दुविहा निओदा प. निओयगा य निओयगजीवा य निओदाणं मंते कतिविहा पन्नत्ता गोयमा दुविहाप. सुहपनिगोदा य वायरनिओदा य एवं निओदा भाणियव्या जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं ७५०1-749 (८९७) कतिविहे णं भंते नापे पत्रत्ते गोयमा छबिहे नामे पनते तं जहा-ओदइए जाव सण्णिवाइए से किं तं ओदइए नामे ओदइए नामे दुविहे पन्नत्ते तं जहा-उदए य उदयनिष्फण्णे यएवं जहासत्तरसमसए पढमे उद्देसएभावो तहेव इह वि नवरं-इमं नामनाणत्तं सेसं तहेव जाद सण्णिवाइए सेवं भंते सेवं भंते त्ति |७५१1-750 पंचवीसइमे सते पंचमो उद्देसो समतो. For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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